विदेशी बाजारों में सुस्ती से तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

Edited By vasudha,Updated: 15 Mar, 2020 03:38 PM

oilseeds prices fall due

विदेशी बाजारों में सुस्ती के रुख के बीच बीते सप्ताह दिल्ली के तेल-तिलहन बाजार में अधिकांश तेल-तिलहनों की कीमतों में हानि दर्ज हुई। बाजार सूत्रों ने बताया कि अंतराष्ट्रीय बाजार में पहले से ही भारी तेलों के लिवाल नहीं हैं, जबकि कोरोना वायरस, कोविड-19...

बिजनेस डेस्क: विदेशी बाजारों में सुस्ती के रुख के बीच बीते सप्ताह दिल्ली के तेल-तिलहन बाजार में अधिकांश तेल-तिलहनों की कीमतों में हानि दर्ज हुई। बाजार सूत्रों ने बताया कि अंतराष्ट्रीय बाजार में पहले से ही भारी तेलों के लिवाल नहीं हैं, जबकि कोरोना वायरस, कोविड-19 के फैलने की वजह से भी मांग प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि विदेशों के भारी तेलों के मुकाबले हल्के खाद्य तेलों की स्थानीय मांग बढ़ी है जिससे पामोलीन, सोयाबीन जैसे तेलों के भाव प्रभावित हुए हैं जबकि वायदा कारोबार में सट्टेबाज सरसों की कीमत एमएसपी से भी कम लगा रहे हैं। दूसरी ओर आयात शुल्क मूल्य बाजार भाव के अनुरूप नहीं होने से विदेशों से पामोलीन, सोयाबीन जैसे तेल के आयातकों के लिए आयात लाभप्रद नहीं रह गया है।

 

सूत्रों ने कहा कि इस कारोबार में बैंकों का भी काफी पैसा लगा है जिसके फंसने की आशंका पैदा हो सकती है। भारत में सोयाबीन, पामोलीन और कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का आयात शुल्क मूल्य, बाजार भाव के मुकाबले 300-400 रुपये प्रति क्विंटल ऊंचा रखा गया है। मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक शुरू हो गई है और मार्च के पहले सप्ताह के दौरान बरसात और तेज हवा के कारण सरसों के साथ कई अन्य फसलों को नुकसान हुआ है। लेकिन वायदा कारोबार में सरसों के एमएसपी से भी कम बोली लगाये जाने के कारण इनकी कीमतों में गिरावट देखने को मिली। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान सरसों (तिलहन) और सरसों दादरी तेल का भाव क्रमश: 150 रुपये और 220 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 4,050-4,080 रुपये और 8,300 रुपये पर बंद हुआ। जबकि सरसों पक्की घानी और सरसों कच्ची घानी टिन के भाव भी पिछले सप्ताहांत के बंद स्तर के मुकाबले 30-30 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 1,335-1,495 रुपये और 1,370-1,515 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए। 

 

स्थानीय स्तर पर हल्के तेल की मांग बढ़ने की वजह से मूंगफली तेल के भाव कमोबेश पूर्ववत बने रहे। केवल मूंगफली दाना के भाव 20 रुपये की हानि दर्शाता 4,685-4,690 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली मिल डिलिवरी तेल गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल की कीमतें कमश: 12,250 रुपये और 1,880-1,925 रुपये प्रति टिन पर अपरिवर्तित रुख के साथ बंद हुईं। वनस्पति घी की कीमत जहां 60 रुपये की हानि के साथ 975-1,235 रुपये प्रति टिन पर बंद हुई। वहीं तिल मिल डिलिवरी की कीमत 500 रुपये के सुधार के साथ 10,500-15,000 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुई। आयातित तेलों की मांग प्रभावित होने के कारण सोयाबीन मिल डिलिवरी दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 420 रुपये, 400 रुपये और 440 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 8,180 रुपये, 7,980 रुपये और 7,100 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। 

 

भारी तेल की मांग न होने तथा आयात शुल्क मूल्य अधिक होने की वजह से देश के बंदरगाहों पर इसका स्टॉक जमा होने के कारण सीपीओ एक्स कांडला, पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला के भाव भी पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले क्रमश: 450 रुपये, 450 रुपये और 480 रुपये का घाटा दर्शाते क्रमश: 6,100 रुपये, 7,550 रुपये और 6,800 रुपये क्विंटल पर बंद हुए। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) तेल के भाव भी पिछले सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले 330 रुपये के घाटे के साथ 7,050 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ।
 

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