Edited By Supreet Kaur,Updated: 14 Sep, 2019 11:38 AM
केंद्र सरकार ओला-उबर जैसे कैब समूहों को पीक ऑवर में ग्राहकों से आधार किराया (बेस फेयर) तीन गुना ज्यादा तक वसूलने को मंजूरी दे सकती है। सरकार एप से संचालित इन कैब समूहों के लिए नए नियम बनाने जा रही है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार .......
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ओला-उबर जैसे कैब समूहों को पीक ऑवर में ग्राहकों से आधार किराया (बेस फेयर) तीन गुना ज्यादा तक वसूलने को मंजूरी दे सकती है। सरकार एप से संचालित इन कैब समूहों के लिए नए नियम बनाने जा रही है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ओला-उबर जैसी कंपनियां लंबे समय से सर्ज प्राइजिंग की मांग करती आ रही हैं। यह सर्ज प्राइजिंग कितनी हो, इसका नियमन जरूरी है। इसके लिए नए नियम तैयार किए जा रहे हैं।
सर्ज प्राइजिंग का समर्थन
अमूमन सुबह ऑफिस और शाम को छुट्टी के समय टैक्सी की मांग तेजी से बढ़ती है। ऐसे में मांग बढऩे पर किराया बढ़ाने का अधिकार ये कंपनियां चाहती हैं। अधिकारी के अनुसार दिसम्बर 2016 की सरकार की प्रस्तावित गाइड लाइन भी सर्ज प्राइजिंग की वकालत करती है। मांग बढऩे पर किराया बढ़ाने को सर्ज प्राइजिंग कहते हैं।
जनता का जवाब
सर्ज प्राइजिंग का मुद्दा लंबे समय से विवाद का कारण बना हुआ है। इसे लेकर कर्नाटक में एक सर्वे भी कराया गया था। इसमें 51 हजार लोगों की राय ली गई थी। इसका जवाब इस तरह रहा था।
- 45% कहा कि सर्ज प्राइजिंग प्रतिबंधित होनी चाहिए
- 06% कह नहीं सकते
- 49% ने कहा कि अधिकतम 25 फीसदी तक बढ़ा सकते हैं
इसलिए हैं नए नियम जरूरी
संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट पास होने के बाद डिजीटल कैब कंपनियों के लिए नए नियमों की जरूरत महसूस की जा रही है। विधेयक में पहली बार इन डिजीटल कंपनियों को बाजार माना गया है। ये नए नियम पूरे देश में लागू होंगे और राज्यों को इन्हें बदलने का अधिकार होगा।
कर्नाटक में पहले से
कर्नाटक सरकार ने पहले से ही पीक ऑवर में किराया बढ़ाने की सीमा तय कर रखी है। एप संचालित कैब समूह लग्जरी कैब्स के लिए अधिकतम 2.25 फीसदी तक ही किराया बढ़ा सकते हैं।