Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jun, 2018 04:45 AM
भारतीय अब डिजीटल रूप से अधिक सक्रिय होते जा रहे हैं और इसके साथ ही उनके साथ वित्तीय धोखाधड़ी का जोखिम भी बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 4 में से एक भारतीय ग्राहक आनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार बनता है। वैश्विक वित्तीय सूचना कंपनी...
मुम्बई: भारतीय अब डिजीटल रूप से अधिक सक्रिय होते जा रहे हैं और इसके साथ ही उनके साथ वित्तीय धोखाधड़ी का जोखिम भी बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 4 में से एक भारतीय ग्राहक आनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार बनता है।
वैश्विक वित्तीय सूचना कंपनी एक्सपेरियन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 24 प्रतिशत भारतीय आनलाइन लेन-देन में सीधे धोखाधड़ी का शिकार बने हैं। दूरसंचार क्षेत्र को सबसे अधिक 57 प्रतिशत आनलाइन धोखाधड़ी का सामना करना पड़ता है। इसके बाद बैंक (54 प्रतिशत) और रिटेलर्स (46 प्रतिशत) का नंबर आता है। इसके अलावा भारतीय बैंकों के साथ डाटा सांझा करने में अधिक संतोषजनक स्थिति महसूस करते हैं। 50 प्रतिशत भारतीय बैंकों के साथ डांटा सांझा करते हैं।
वहीं ब्रांडेड रिटेलर्स के साथ 30 प्रतिशत ही डाटा सांझा करते हैं। औसतन डिजीटल लेन-देन करने वाले 65 प्रतिशत लोगों ने मोबाइल के जरिए भुगतान का विकल्प चुना है क्योंकि उन्हें यह सुविधाजनक लगता है। यह आनलाइन सर्वे 10 ए.पी.ए.सी. बाजारों-आस्ट्रेलिया, चीन, हांगकांग, भारत, इंडोनेशिया, जापान, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम के उपभोक्ताओं की राय पर आधारित है।