50 पैसे किलो बिक रहा है प्याज, देशभर के किसानों में मचा हाहाकार

Edited By Isha,Updated: 04 Dec, 2018 11:14 AM

onion prices plunge following oversupply due to release of old stocks

प्याज के दामों में हो रही लगातार गिरावट के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में इस बार प्याज की बंपर पैदावर हुई है पर बावजूद इसके किसान प्याज बेचने की बजाय फेंकने के लिए मजबूर है।

बिजनेस डेस्कः प्याज के दामों में हो रही लगातार गिरावट के कारण देशभर के किसानों में हाहाकार मची हुई है। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में इस बार प्याज की बंपर पैदावर हुई है पर बावजूद इसके किसान प्याज बेचने की बजाय फेंकने के लिए मजबूर है। प्याज के दामों को औंधे में गिरता देख भी किसान बेबस और लाचार है। कई किसान तो मंडी में प्याज एेसे ही छोड़कर जा रहे है। मध्यप्रदेश के नीमच मंडी में लहसुन की कीमत भी 2 रुपए प्रति किलो हो गई है इसके इलावा मंदसौर में, यह 3 रुपए पर कारोबार कर रहा था। दोनों मंडियों में प्याज के दामों भी इस स्तर पर कारोबार कर रहे है। नीमच जिले के गांव केलूखेड़ा से सोमवार को इंदरमल पाटीदार 15 क्विंटल प्याज लेकर नीमच मंडी आए थे। उन्होंने सोचाथा कि प्याज बेचकर कुछ जरूरी सामान खरीदेंगे लेकिन जब मंडी पहुंचे तो पता चला कि प्याज का भाव तो मात्र 50 पैसे किलो रह गया है।
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पुराना स्टॉक मंडी में बेच रहे किसान
मध्य प्रदेश के एक अधिकारी ने कहा कि प्याज के सही दामों का किसानों को न मिलने का मुख्य कारण ये है कि किसानों ने पिछले सर्दियों के बेचे जाने वाले स्टॉक को देर से रिलीज किया। हम प्याज के मूल्यों पर निगरानी रख रहे है। धीरे- धीरे इसमें सुधार किया जाएगा। अधिकारी का कहना है कि अभी अभी ताजा स्टॉक शुरू हुआ है हम कीमतों पर नजर रखें हुए है। इस समय कीमतों में बदलाव होना आम बात है। गौरतलब है एक बीघा में प्याज लगाने में करीब 15 हज़ार रूपए का खर्च आता है और इस एक बीघा में लगभग 15 क्विंटल प्याज पैदा होती है। यदि आज के भाव से जोड़े तो किसान को मात्र 750 रूपए मिल पा रही है। कृषि विभाग के आंकड़े कहते है कि वर्ष 2017 में 3400 हेक्टेयर में प्याज की बुवाई हुई थी, जबकि वर्ष 2018 में 3500 हेक्टेयर में नीमच जिले में प्याज बोई गयी है।
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किसानों को नहीं मिल रहा लागत मूल्य
प्याज के दाम लगातार गिरने से मंडी में दूर-दराज के क्षेत्रों से आए किसान नाराज हो गए। किसानों का कहना है कि भाव कम होने से फसल का लागत मूल्य भी नहीं निकल रहा है। धूल मिट्टी के भाव से भी कम दाम प्याज के मिल रहे हैं। सरकार को भाव तय करना चाहिए नहीं तो इतनी मंहगी खेती करने से फायदा क्या? सोमवार को कृषि उपज मंडी में 44 हजार 919 बोरी की आवक रही। लहसुन की 18 हजार बोरी, सोयाबीन 10 हजार बोरी, प्याज 11 हजार बोरी, गेहूं 1500 बोरी, मक्का 900 बोरी के साथ अन्य उपजों की जमकर आवक रही।
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आधिकारिक उत्पादन अनुमानों के मुताबिक प्याज उत्पादन 2017-18 में 22.07 मिलियन टन था पिछले साल यहीं उत्पादन 22.42 मिलियन टन था भारतीय किसान संघ के नेता अनिल यादव ने कहा कि नए प्याज के आगमन के साथ, यह स्वाभाविक है कि कीमतें दुर्घटनाग्रस्त हो जाएंगी, क्योंकि कई किसानों ने पुरानी फसल को इक्ठ्ठी की हुई है किया था जिस कारण ये सम्स्या पैदा हो रही है।

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