Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Jul, 2019 10:37 AM
भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के आंकड़ों के अनुसार देश के अनुसूचित कमर्शियल बैंकों (एस.सी.बी.) का 31 मार्च 2019 तक 9,49,279 करोड़ रुपए नॉन-परफॉर्मिंग एसैट (एन.पी.ए.) के रूप में फंसा पड़ा है। सरकार ने संसद में कहा है कि इसमें से 4,54,188 करोड़ रुपए...
नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के आंकड़ों के अनुसार देश के अनुसूचित कमर्शियल बैंकों (एस.सी.बी.) का 31 मार्च 2019 तक 9,49,279 करोड़ रुपए नॉन-परफॉर्मिंग एसैट (एन.पी.ए.) के रूप में फंसा पड़ा है। सरकार ने संसद में कहा है कि इसमें से 4,54,188 करोड़ रुपए मात्र देश के 150 लोगों ने दबा रखा है। यह एस.एस.बी. के कुल एन.पी.ए. का करीब 50 प्रतिशत है। हालांकि यह राशि किन-किन लोगों पर उधार है, इसकी जानकारी नहीं दी गई है।
केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर की ओर से संसद में दी गई जानकारी के अनुसार एन.पी.ए. में फंसी बैंकों की राशि की वसूली के लिए दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 (आई.बी.सी.) बनाया गया है। इसके तहत बैंकों की ओर से नैशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल (एन.सी.एल.टी.) में दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू की जाती है।
आई.बी.सी. को और प्रभावी बनाने के लिए इसमें कई संशोधन किए गए हैं। इन संशोधनों के तहत उधारकत्र्ता को 3 माह का कारावास और बंधक रखी गई संपत्ति पर 30 दिन के भीतर कब्जा करने का प्रावधान किया गया है।
वित्त वर्ष 2018-19 में डेढ़ लाख करोड़ रुपए की वसूली
वित्त राज्य मंत्री ने कहा है कि वसूली में तेजी लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का असर दिख रहा है। केन्द्रीय मंत्री के अनुसार बीते 4 सालों में कुल 4,01,424 करोड़ रुपए की वसूली की गई है। वित्त वर्ष 2018-19 में 1,56,746 करोड़ रुपए एन.पी.ए. की वसूली की गई है जो बीते 4 सालों में सबसे अधिक है। बेहतर वसूली के लिए सरकार की ओर से ऑनलाइन संपूर्ण एकबारगी निपटान प्लेटफॉर्मों का सृजन किया गया है।