Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 May, 2021 12:48 PM
भारत कृषि में तकनीक के उपयोग को बढ़ाने पर विचार कर रहा है, वहीं एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि देश में महज 2 फीसदी किसान ही कृषि संबंधी गतिविधियों और ठीक समय पर चेतावनी पाने के लिए मोबाइल ऐप का उपयोग कर रहे हैं।
बिजनेस डेस्कः भारत कृषि में तकनीक के उपयोग को बढ़ाने पर विचार कर रहा है, वहीं एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि देश में महज 2 फीसदी किसान ही कृषि संबंधी गतिविधियों और ठीक समय पर चेतावनी पाने के लिए मोबाइल ऐप का उपयोग कर रहे हैं। इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसी तकनीक समाधानों का उपयोग अभी भी शुरुआती चरण में है। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि मौजूदा स्टार्टअप और तकनीक आधारित कंपनियों में से करीब 90 फीसदी के पास ऐसे समाधान हैं जो केवल कटाई से पूर्व के परिचालनों पर केंद्रित हैं और कटाई बाद के परिचालन पर केंद्रित समाधान नहीं है, जिसमें बड़ी कंपनियों की मौजूदगी के कारण उच्च निवेश संभावना है।
कटाई के बाद के परिचालनों पर आईओटी एडॉप्शन इन इंडियन एग्रीकल्चर शीर्षक से आए के अध्ययन में पाया गया है कि आईओटी जैसे तकनीक समाधान को अपनाने की दिशा में निवेश पर रिटर्न (आरओआई) को लेकर अस्पष्टता एक बड़ा रोड़ा है। यह अध्ययन उद्योग संगठन नैसकॉम ने सिस्को इंडिया के साथ मिलकर 180 से अधिक उद्यमों और 40 एग्रीटेक स्टार्टअप पर किया है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि 27 से 37 फीसदी आईओटी एडॉप्शन कृषि मूल्य श्रृंखला में व्यापक तौर पर कम स्तर को दर्शाता है जिसे अस्पष्ट लाभों से और झटका लगता है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'कटाई से पूर्व की स्थिति में आईओटी लाभों की कमी की शुरुआत किसानों की कम आमदनी और बड़े पैमाने पर काश्तकारी खेती से होती है जबकि कटाई के बाद चरणों में अधिक संगठित कंपनियों और उच्च निवेश संभावना के साथ निवेश पर रिटर्न (आरओआई) को लेकर अस्पष्टता एक बड़ा रोड़ा है।' अध्ययन में यह भी पाया गया है कि भारतीय कृषि में आईओटी इस्तेमाल की मौजूदा स्थिति उपलब्ध समाधानों और किए गए पहलों दोनों लिहाज से बहुत शुरुआती चरण में और असमान है।