Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Jul, 2018 07:26 PM
देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद से विदाई ले रहे अरविंद सुब्रमण्यन का कहना है कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर में सिर्फ एक दर्जन के करीब ही बैंकों की जरूरत है।
बिजनेस डेस्कः देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद से विदाई ले रहे अरविंद सुब्रमण्यन का कहना है कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर में सिर्फ एक दर्जन के करीब ही बैंकों की जरूरत है। यही नहीं उनका कहना है कि इनमें भी सरकारी बैंकों के मुकाबले निजी बैंकों की संख्या अधिक होनी चाहिए। एक इंटरव्यू में सुब्रमण्यन ने कहा, 'भारत में सिर्फ 3 से 5 ही सरकारी बैंक होने चाहिए। इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर के बैंक होने चाहिए।'
सुब्रमण्यन ने कहा, 'देश को और सुधारों की जरूरत है। हमें यह सोचने की जरूरत है कि कैसे गवर्नेंस में सुधार किया जाए और निजी सेक्टर की भागीदारी को बढ़ाया जाए।' उन्होंने कहा, 'मैं यह सोचता हूं कि अधिक निजी बैंक होने चाहिए और पूरी
व्यवस्था में बैंकों की संख्या कम होनी चाहिए। एक स्वस्थ सिस्टम वह होगा, जिसमें 3 से 5 सरकारी बैंक होंगे और 3 से 4 प्राइवेट सेक्टर बैंक हों। इसके अलावा एक या दो विदेशी बैंक होने चाहिए।'
केंद्र सरकार और आरबीआई के संबंधों पर बोलते हुए सुब्रमण्यन ने कहा, 'असल में दोनों के बीच कुछ मतभेद होते ही हैं। इसकी वजह यह है कि दोनों के उद्देश्य अलग हैं, जनादेश अलग हैं और कई बार व्यक्तित्व भी अलग-अलग होते हैं। यदि थोड़ी बहुत टेंशन नहीं होगी तो काम सही दिशा में नहीं होंगे।' पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के साथ संबंधों को लेकर सुब्रमण्यन ने कहा, 'मेरे उनके साथ बेहद दोस्ताना संबंध थे। मैंने रघु को यह बताया था कि उन्हें उनकी पत्नी से भी बेहतर कोई जानना वाला हो सकता है तो वह है सह-लेखक। इसलिए मैं रघु को उनकी पत्नी से और वह मुझे मेरी पत्नी से बेहतर जानते हैं।'