इस साल खरीफ सत्र में धान का रकबा 4.76 प्रतिशत घटा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 01 Oct, 2022 05:19 PM

paddy acreage decreased by 4 76 percent in kharif this year

झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में अनियमित मानसूनी बारिश के कारण खरीफ सत्र में धान बुआई का रकबा 4.76 प्रतिशत घटकर 402.88 लाख हेक्टेयर रह गया है। कृषि मंत्रालय ने शुक्रवार को 2022 के खरीफ सत्र के लिए बुवाई के रकबे का

नई दिल्लीः झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में अनियमित मानसूनी बारिश के कारण खरीफ सत्र में धान बुआई का रकबा 4.76 प्रतिशत घटकर 402.88 लाख हेक्टेयर रह गया है। कृषि मंत्रालय ने शुक्रवार को 2022 के खरीफ सत्र के लिए बुवाई के रकबे का अंतिम आंकड़ा जारी किया। पिछले साल खरीफ सत्र में धान का रकबा 423.04 लाख हेक्टेयर था। सभी खरीफ फसलों की बुवाई का कुल रकबा पिछले साल के 1,112.16 लाख हेक्टेयर से घटकर 1,102.79 लाख हेक्टेयर रह गया है।

धान के मामले में, झारखंड (9.22 लाख हेक्टेयर), पश्चिम बंगाल (3.65 लाख हेक्टेयर), उत्तर प्रदेश (2.48 लाख हेक्टेयर), मध्य प्रदेश (2.24 लाख हेक्टेयर), बिहार (1.97 लाख हेक्टेयर), आंध्र प्रदेश (एक लाख हेक्टेयर), असम (0.99 लाख हेक्टेयर) और छत्तीसगढ़ (0.74 लाख हेक्टेयर) से कम बुवाई रकबे की सूचना मिली है। दलहन खेती का रकबा भी वर्ष 2021 के खरीफ सत्र के 139.21 लाख हेक्टेयर से घटकर 133.68 लाख हेक्टेयर रह गया। हालांकि, मोटे अनाज का रकबा 175.15 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 183.89 लाख हेक्टेयर हो गया। गैर-खाद्यान्न श्रेणी में, तिलहन का रकबा 193.99 लाख हेक्टेयर से घटकर 192.14 लाख हेक्टेयर रह गया। इस साल के मॉनसून सत्र में देश में 7 प्रतिशत अधिक बारिश हुई, लेकिन चावल उगाने वाले राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में कम बारिश हुई। 

हालांकि पूरे देश में अधिक वर्षा हुई है लेकिन इसका वितरण असमान रहा है। राजस्थान के रेगिस्तानी राज्य में सामान्य से 36 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, जहां प्रचुर वर्षा होती है, वहां कम वर्षा हुई। मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि धान के रकबे में गिरावट के कारण, फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) के खरीफ सत्र के दौरान चावल का उत्पादन छह प्रतिशत घटकर 10 करोड़ 49.9 लाख टन रह सकता है। चावल के उत्पादन में संभावित गिरावट ने सरकार को 9 सितंबर से टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने और गैर-बासमती और बिना उबले चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाने के लिए प्रेरित किया है। वैश्विक चावल व्यापार में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले भारत ने पिछले वर्ष के एक करोड़ 77.8 लाख टन के मुकाबले वर्ष 2021-22 में दो करोड़ 12.3 लाख टन चावल का निर्यात किया था। 
 

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