Edited By Isha,Updated: 15 Nov, 2018 10:50 AM
भारत का पाम तेल आयात नवम्बर से जनवरी के दौरान बढऩे के आसार नहीं हैं। भले ही इस जिंस के दाम 3 साल के निचले स्तर पर चले गए हों। व्यापारियों का कहना है कि अन्य तिलहन की पर्याप्त स्थानीय आर्पूति ने इस पर लगाम लगा दी है और नकदी संकट से भावी खरीदारों
मुम्बई: भारत का पाम तेल आयात नवम्बर से जनवरी के दौरान बढऩे के आसार नहीं हैं। भले ही इस जिंस के दाम 3 साल के निचले स्तर पर चले गए हों। व्यापारियों का कहना है कि अन्य तिलहन की पर्याप्त स्थानीय आर्पूति ने इस पर लगाम लगा दी है और नकदी संकट से भावी खरीदारों को धक्का पहुंचा है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा पाम तेल आयातक है और मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय बैंचमार्क कीमतों को प्रभावित करता है जो 2018 में अब तक करीब 20 प्रतिशत गिर चुकी हैं। व्यापारिक कम्पनी जी.जी. पटेल एंड निखिल रिसर्च कम्पनी के प्रबंध निदेशक गोविंदभाई पटेल ने कहा कि आयात में बढ़ौतरी नहीं होगी। नकदी संकट है और घरेलू तेल की उपलब्धता बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि 1 नवम्बर से शुरू होने वाले विपणन वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में देश का आयात औसतन 7,50,000 टन से 8,00,000 टन के बीच रह सकता है। पिछले 3 महीनों में लगभग यही स्तर दर्ज किए जाने का अनुमान लगाया गया था। पिछले विपणन वर्ष की इस अवधि में यह 7,58,000 टन था। व्यापारियों ने कहा कि गर्मियों में बोई गई सोयाबीन और मूंगफली जैसी तिलहनों की आर्पूति बाजार में आनी शुरू हो चुकी है और पिराई भी इस महीने रफ्तार पकड़ रही है। गर्मियों में बोई जाने वाली प्रमुख तिलहन सोयाबीन का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 2018 में 20 प्रतिशत बढऩे की उम्मीद है।