मुसीबत में फंसी महिलाओं और बच्चों को तत्काल मदद पहुंचाने के लिए सरकार ऐतिहासिक डिजीटल कदम उठाने जा रही है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय 19 फरवरी से मोबाइल फोन में पैनिक बटन को अनिवार्य करने जा रहा है। यह बटन हर मोबाइल में होगा।
नई दिल्लीः मुसीबत में फंसी महिलाओं और बच्चों को तत्काल मदद पहुंचाने के लिए सरकार ऐतिहासिक डिजीटल कदम उठाने जा रही है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय 19 फरवरी से मोबाइल फोन में पैनिक बटन को अनिवार्य करने जा रहा है। यह बटन हर मोबाइल में होगा।

आमतौर पर दो तरह के पैनिक बटन होते हैं जो मुसीबत के वक्त बड़े काम के साबित होते हैं। करीब 3 साल पहले महिला और बाल विकास मंत्रालय ने इसका प्रस्ताव पेश किया था।

ऐसे करेगा यह काम
महिलाओं को किसी भी राज्य में सुरक्षा या स्वास्थ्य संबंधी कोई भी आपात स्थिति आए तो वह अपने फोन में 112 नम्बर (पैनिक बटन) को डायल कर पुलिस की मदद मांग सकती है। इस नम्बर को दबाते ही नजदीक वाली पुलिस की मोबाइल वैन को स्वत: यह संदेश चला जाएगा कि किस जगह पर कोई महिला परेशानी में है। पैनिक बटन से आपात स्थिति में मदद के लिए महिला ने अपने जिन 5 करीबियों का फोन नम्बर रखा होगा, उनको भी संदेश मिल जाएगा। सबसे बेसिक पैनिक बटन किसी थैफ्ट अलार्म की तरह काम करते हैं। आपने बटन दबाया और सायरन की तरह जोरदार आवाज, आसपास के लोगों का ध्यान खींच लेती है और बटन दबाते ही मदद मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

मंत्रालय ने निर्भया कोष से दिए 321 करोड़ रुपए
सिस्टम को खड़ा करने के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय ने निर्भया कोष से 321 करोड़ रुपए दिए हैं। पैनिक बटन का एक राज्य में प्रयोग करके व्यावहारिक कठिनाइयों को समझा गया। प्रयोग सफल रहा, फिर भी कुछ समस्याएं बनी रहीं। महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी इसे तभी उपयोगी मानती थीं, जब यह सभी राज्यों में काम करने लगे।
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