देश में कागज की खपत 2024-25 तक 2.4 करोड़ टन पहुंचने का अनुमान

Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Nov, 2019 05:03 PM

paper consumption in the country is estimated to reach

भारतीय कागज उद्योग का अनुमान है कि देश में कागज उद्योग औसतन सालाना 12 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर सकता है और इसके साथ अगले पांच साल में 2024-25 तक कागज की घरेलू खपत 2.4 करोड़ टन पहुंचने का अनुमान है।

नई दिल्लीः भारतीय कागज उद्योग का अनुमान है कि देश में कागज उद्योग औसतन सालाना 12 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर सकता है और इसके साथ अगले पांच साल में 2024-25 तक कागज की घरेलू खपत 2.4 करोड़ टन पहुंचने का अनुमान है। कागज विनिर्माताओं के संघ इंडियन पेपर एंड मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन की एक विज्ञप्ति के अनुसार इस समय कागज की खपत 1.5 करोड़ टन है। 

एसोसिएशन के उपाध्यक्ष और सेंचुरी पेपर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जे. पी. नारायण ने राजधानी में अगले सप्ताह आयोजित की जा रही कागज उद्योग की प्रदर्शनी पेपरएक्स2019 से पहले विज्ञप्ति में कहा, ‘‘कागज उद्योग बदलाव के दौर से गुजर रहा है। कुछ बड़ी कागज कंपनियां अपने किसी क्षेत्र, उत्पाद या श्रेणी विशेष की मांग को मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन क्षमता का विस्तार कर रही हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘ अभी देश में कागज की कुल खपत डेढ़ करोड़ टन है जिसके 2024-25 तक बढ़कर 2.4 करोड़ टन होने का अनुमान है।''

नारायण ने कहा कि इस उद्योग की सालाना वृद्धि करीब 12 प्रतिशत रहने की उम्मीद हैं पेपरएक्स, कागज उद्योग से जुड़ी दुनिया की सबसे बड़ी प्रदर्शनियों में से एक है। इस साल यह 3-6 दिसंबर दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित की जा रही है। विज्ञप्ति के अनुसार केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी इस प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे। कागज उद्योग क्षेत्र के वैश्विक समूह एशियाहाइव ग्रुप के क्षेत्रीय निदेशक गार्डन पेनी ने कहा, ‘भारत को पेपरएक्स उद्योग प्रदर्शनी के आयोजन पर वास्तव में गर्व होना चाहिए। यह उद्यमियों को इस उद्योग के ताजा रुझानों और प्रौद्योगिकी को एक साथ देखने समझने तथा नए पुराने उद्यमियों को आपस में मिलने का एक बड़ा अवसर उपलब्ध कराती है।'' 

संघ ने एक विज्ञप्ति में बताया कि इस प्रदर्शनी में 28 देशों के 700 से अधिक प्रतिभागी शामिल होंगे। प्रदर्शनी में करीब 30,000 कारोबारी आगंतुकों के आने का अनुमान है। कागज उत्पादन से जुड़े देशभर के 1,100 से अधिक लघु उद्योग (एमएसएमई) पहली बार इस प्रदर्शनी में शामिल होंगे। नारायण ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि देश में इस उद्योग के अंदर विलय और एकीकरण के रुझान बढ़ेंगे। हमें अधिक कंपनियों के विलय एवं अधिग्रहण देखने को मिल सकते हैं। चूंकि इस उद्योग में श्रमबल की आवश्यकता होती है, इसलिए उद्योग के विस्तार से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार बढ़ेगा।'' वर्तमान में देश में 462 कागज मिलें हैं। यह हर साल करीब तीन करोड़ टन कागत का उत्पादन करती हैं। पिछले तीन साल में देश का कागज निर्यात 6.6 लाख टन से बढ़कर 15 लाख टन हो गया है। 

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