Edited By jyoti choudhary,Updated: 05 Aug, 2019 02:34 PM
बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि पिछले कुछ समय से घाटे में चल रही है। शहरों में पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों की बिक्री कम हो रही है तो वहीं गांवों में भी इसकी ग्रोथ एक तिहाई तक कम हो गई है। हालांकि प्राकृतिक उत्पादों का बाजार अभी बढ़ रहा है।
मुंबईः बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि पिछले कुछ समय से घाटे में चल रही है। शहरों में पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों की बिक्री कम हो रही है तो वहीं गांवों में भी इसकी ग्रोथ एक तिहाई तक कम हो गई है। हालांकि प्राकृतिक उत्पादों का बाजार अभी बढ़ रहा है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
WPP के रिसर्च फर्म के मुताबिक बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों की बिक्री पिछले वित्त वर्ष में शहरों में 2.7 फीसदी तक कम हो गई। वहीं ग्रामीण इलाकों में इसमें 15.7 फीसदी की वृद्धि देखी गई है जो कि पहले से कम है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्राकृतिक उत्पादों की बिक्री में कुल 3.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल की ही तरह इस साल भी रूरल मार्केट में 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
रिसर्च करने वाली कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर रामाकृष्णन ने कहा, 'नैचुरल सेग्मेंट में केवल कोर नैचुरल ब्रैंड ही नहीं हैं बल्कि प्राकृतिक अवयवों का इस्तेमाल करने वाले ब्रैंड भी शामिल हैं।' उन्होंने कहा कि इससे एक बड़ा ब्रैंड बनाने में मदद मिल रही है जो कि जरूरी नहीं है प्राकृतिक उत्पाद ही बेचे। एक साल पहले पतंजलि की ग्रोथ शहरों में 21.1 फीसदी और ग्रामीण इलाकों में 45.2 फीसदी थी।
मल्टीनैशनल कंपनियों ने पतंजलि की चुनौती का सामना करने के लिए हर्बल ब्रैंड्स की शुरुआत की है क्योंकि लोगों को रुझान प्राकृतिक उत्पादों की ओर बढ़ा है। मार्केट लीडर HUL ने भी हेयरकेयर और स्किन केयर के आयुर्वेदिक ब्रैंड लॉन्च किए हैं। कोलकेट ने भी वेदशक्ति के नाम से नया टूथपेस्ट लॉन्च कर दिया है।
रुचि सोया भी खरीद चुकी है पतंजलि
योग गुरु बाबा रामदेव की अगुआई वाला पतंजलि समूह अब तक के अपने सबसे बड़े अधिग्रहण में खाद्य तेल कंपनी रुचि सोया का मालिक बनने जा रहा है। राष्ट्रीय कंपनी न्यायाधिकरण (NCLT) ने रुचि सोया के लिए पतंजलि की 4,350 करोड़ रुपए की संशोधित बोली को मंजूरी दे दी है। पहले इस खरीद की दौड़ में अडानी समूह की कंपनी अडानी विलमर भी थी लेकिन उसके बोली से हटने के बाद रुचि सोया के लिए पतंजलि एकमात्र बोलीदाता रह गई थी। कंपनी के ऊपर करीब 9,345 करोड़ रुपए का कर्ज है।