सरकार के साथ विवादों से जुड़े सभी सवाल टाल गए RBI गवर्नर

Edited By jyoti choudhary,Updated: 05 Dec, 2018 05:26 PM

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद होने वाले परंपरागत संवाददाता सम्मेलन में सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच चल रही कशमकश पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद होने वाले परंपरागत संवाददाता सम्मेलन में सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच चल रही कशमकश पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। पटेल से इस विषय में तीन सवाल किए गए थे।

सरकार की ओर से अब तक कभी नहीं इस्तेमाल की गई रिवर्ज बैंक अधिनियम की धारा-7 के तहत पहली बार आरबीआई को निर्देश दिए जाने और रिजर्व बैंक की कमाई में सरकार के हिस्से को लेकर नियम बनाने जैसे मुद्दों को लेकर उठाए गए संवाददाताओं के सवालों पर उन्होंने उन पर कोई टिप्पणी नहीं की। उन्होंने कहा, ‘मैं इन सवालों से बचना चाहूंगा क्यों की हम यहां मौद्रिक नीति समीक्षा पर चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने आरबीआई की स्वायत्तता के विषय में डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के सार्वजनिक रुख और रिजर्व बैंक की आर्थिक पूंजी प्रबंधन नियम के बारे में पूछे गए सवालों को इसी तरीके से टाल दिया।

उर्जित पटेल ने कहा, ‘मैं नहीं सोचता कि यह सवाल (एमपीसी) मौद्रिक नीति समिति के प्रस्ताव से जुड़ा है। हम एमपीसी के प्रस्ताव और अर्थव्यवस्था के वृहद पक्षों पर चर्चा के लिए यहां इकठ्ठा हुए हैं। रिवर्ज बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चली बैठक में केंद्रीय बैंक की नीतिगत ब्याज दर रेपो को पहले के स्तर 6.5 प्रतिशत पर ही बरकार रखने का निर्णय किया गया है। केंद्रीय बैंक के सूत्रों के अनुसार सरकार ने आरबीआई को तीन पत्र लिखे थे। इनमें करीब एक दर्जन मांगे रखी गई थी। इन पत्रों का एक सप्ताह के अंदर जवाब दे दिया गया था।

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