Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 May, 2019 10:02 AM
इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल की दिल्ली ब्रांच ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति घर खरीदने के लिए माता-पिता या भाई से कैश लोन लेता है, तो उस पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 269SS के उल्लंघन के आरोप में सेक्शन 271D के तहत जुर्माना नहीं लगाया जा सकता।
नई दिल्लीः इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल की दिल्ली ब्रांच ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति घर खरीदने के लिए माता-पिता या भाई से कैश लोन लेता है, तो उस पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 269SS के उल्लंघन के आरोप में सेक्शन 271D के तहत जुर्माना नहीं लगाया जा सकता। एक असेसी को पेनल्टी से राहत देते हुए बेंच ने फैसला सुनाया कि वाजिब कारणों से ब्लड रिलेशन में लिया गया पैसा इसके दायरे में नहीं आता, बशर्ते उसमें टैक्स चोरी की मंशा नहीं हो।
सेक्शन 269SS के तहत कोई भी व्यक्ति किसी से 20,000 रुपए से ज्यादा का लोन या जमा कैश में स्वीकार नहीं कर सकता, इसके लिए उसे चेक, अकाउंट ट्रांसफर या दूसरे बैकिंग चैनलों का इस्तेमाल करना होगा। एक नौकरीपेशा महिला के इनकम टैक्स असेसमेंट के दौरान असेसिंग अफसर ने 3.25 लाख रुपए के कैश ट्रांजैक्शन पर उंगली उठाई थी और उसे सेक्शन 271D के तहत पेनाल्टी नोटिस जारी किया था। यह नोटिस सेक्शन 269SS के प्रावधानों के उल्लंघन के आरोप में जारी होता है।
अधिकारी ने महिला की यह दलील खारिज कर दी थी कि उसने यह रकम माता-पिता और भाई से घर खरीदने के दौरान स्टांप ड्यूटी चुकाने के लिए पड़ी जरूरत के तौर पर ली थी, जिसे बाद में लौटा दिया गया। पेनल्टी ऑर्डर में कहा गया था कि महिला ने इस ट्रांजैक्शन में कई चीजें स्पष्ट नहीं कीं और जिन लोगों ने पैसा दिया उनकी ओर से कोई स्वीकृति या हलफनामा भी नहीं लगाया। दस्तावेजों में रकम लेने या स्टांप ड्यूटी की डेट का भी जिक्र नहीं है। अधिकारी ने यह भी कहा कि मकान की डील और खरीदने की प्रक्रिया लंबी होती है और इतना समय होता है कि इस तरह की रकम बैंकिंग जरियों से ली जा सके।
ट्राइब्यूनल ने महिला की अपील पर सुनवाई के दौरान इस बात पर जोर दिया कि महिला ने वाजिब कारणों से लोन लिया और उसका मकसद टैक्स चुराना नहीं था। कई हाई कोर्ट के फैसलों का जिक्र करते हुए बेंच ने कहा कि दो स्वतंत्र असेसीज के बीच वाजिब कारणों से हुआ फैमिली ट्रांजैक्शन जिसका मकसद टैक्स चोरी नहीं है और यह 271डी के तहत पेनाल्टी के दायरे में नहीं आता। बेंच ने अधिकारी की यह दलील भी नहीं मानी कि यह लोन नहीं बल्कि वित्तीय मदद थी, जिसे लौटाया नहीं गया। बेंच ने कहा कि चूंकि महिला ने अपने रहने के लिए घर खरीदने के दौरान स्टांप ड्यूटी चुकाने के लिए माता-पिता और भाई से यह रकम ली थी, ऐसे में सेक्शन 269SS के तहत यह मामला फिट नहीं बैठता।