महंगाई की मार के बीच पेट्रोल-डीजल हो सकता है सस्ता, 100 डॉलर से नीचे आया कच्चा तेल

Edited By jyoti choudhary,Updated: 17 Jul, 2022 02:24 PM

petrol and diesel may become cheaper amid inflation

महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों के लिए अच्छी खबर है। कच्चे तेल की अंतराष्ट्रीय कीमत में इस हफ्ते तगड़ी गिरावट आई है। इस गिरावट की वजह से कच्चा तेल अपने तीन महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि एक बार फिर से देश में...

बिजनेस डेस्कः महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों के लिए अच्छी खबर है। कच्चे तेल की अंतराष्ट्रीय कीमत में इस हफ्ते तगड़ी गिरावट आई है। इस गिरावट की वजह से कच्चा तेल अपने तीन महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि एक बार फिर से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट देखी जा सकती है।

देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत में करीब ढाई महीने से कोई बदलाव नहीं हुआ है। अभी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 96.72 रुपए और एक लीटर डीजल 89.62 रुपए में मिल रहा है। महंगे क्रूड की वजह से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को 12-15 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल-डीजल तक का नुकसान हो रहा था। अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम नीचे आने से उनके मार्जिन में सुधार होने की उम्मीद है। ऐसे में पेट्रोल-डीजल के दाम भी लुढ़क सकते हैं। केंद्र सरकार ने 21 मई को पेट्रोल पर 8 रुपए और डीजल पर 6 रुपए एक्साइज ड्यूटी में कटौती की थी।

कितने रुपए पर पहुंच गया कच्चा तेल?

इस हफ्ते 14 जुलाई को कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे गिरकर 99.76 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए। इससे पहले इस साल 25 अप्रैल को कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से कम थे। उस वक्त कच्चा तेल 99.17 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर था। इस तरह करीब 3 महीने में पहली बार कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल से सस्ता हुआ है। इस साल पहली बार कच्चा तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर 24 फरवरी को निकले थे और 100.71 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए थे। यह रूस की तरफ से यूक्रेन पर हमला किए जाने के चलते हुआ था।

रुपए को मिलेगी मजबूती, विदेशी मुद्रा बचेगी

अगर कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से कम ही रहती हैं तो इससे रुपए पर पड़ने वाला दबाव भी कम होगा। ऐसे में डॉलर के मुकाबले रुपए को थोड़ी मजबूती मिलेगी, जो अभी करीब 80 रुपए प्रति डॉलर के लेवल पर पहुंच गया है। कीमतें घटने की वजह से कच्चा तेल खरीदने में कम डॉलर खर्च होगा, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी। 8 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 8 अरब डॉलर की गिरावट आई, जिसकी एक बड़ी वजह यह थी कि रिफाइनरीज की तरफ से आने वाली डॉलर डिमांड करीब 45 फीसदी बढ़ गई है।

जब कच्चे तेल ने तोड़ा 14 साल का रिकॉर्ड

कच्चे तेल के दाम 7 मार्च को 14 साल के उच्चतम स्तर 139 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए थे। भारत में कच्चे तेल की कीमत 9 जून को रेकॉर्ड हाई 121.28 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गई थी। यह 9 मार्च 2012 के बाद का उच्चतम स्तर था, जब कच्चा तेल 125.13 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। जून में मंथली एवरेज 118.34 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जो इससे पहले अप्रैल 2012 में देखा गया था, जब यह लेवल 118.64 डॉलर प्रति बैरल था। 2021-22 में तेल कंपनियों ने कच्चा तेल आयात करने में 144 अरब डॉलर खर्च किए थे और करीब 212 मिलियन टन कच्चा तेल और लगभग 40 मीट्रिक टन के कच्चे तेल के प्रोडक्ट आयात किए थे।

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