Edited By Supreet Kaur,Updated: 13 Sep, 2018 11:54 AM
सार्वजनिक क्षेत्र की पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) ने कहा कि संकट में फंसी बिजली परियोजनाओं के लिए बुरा समय निकल चुका है। कंपनी ने कहा कि वह संकट में फंसी पांच परियोजनाओं के लिए एक महीने के भीतर समाधान योजना को अंतिम रूप दे देगी। इन परियोजनाओं पर...
नई दिल्लीः सार्वजनिक क्षेत्र की पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) ने कहा कि संकट में फंसी बिजली परियोजनाओं के लिए बुरा समय निकल चुका है। कंपनी ने कहा कि वह संकट में फंसी पांच परियोजनाओं के लिए एक महीने के भीतर समाधान योजना को अंतिम रूप दे देगी। इन परियोजनाओं पर 8,254 करोड़ रुपए का कर्ज है। कंपनी ने कहा कि वह अन्य ऋणदाताओं के साथ मिलकर समाधान योजना पर काम कर रही है।
पीएफसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक राजीव शर्मा ने कहा कि संकट में फंसी बिजली कंपनियों की परियोजनाओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता कानून के तहत प्रक्रिया शुरू करने से 11 नवंबर 2018 तक अंतरिम राहत दिए जाने से कंपनी को फायदा होगा। शर्मा ने कहा, ‘‘बुरा समय निकल चुका है। हम पांच ऐसी परियोजनाओं के मामले में समाधान योजना को अगले एक महीने में अंतिम रूप दे देंगे। इन पांच परियोजनाओं में हमारा 8,254 करोड़ रुपए का कर्ज है जो कि समाधान के अंतिम चरण में है।’’ उन्होंने कहा कि जीएमआर छत्तीसगढ़, झाबुआ पावर और केएसके महानदी के मामले में सबसे ऊंची बोली लगाने वाले के साथ विचार विमर्श जारी है ताकि सौदे को अंतिम रूप दिया जा सके। इसी प्रकार इंडियाबुल्स अमरावती और एस्सार महान के लिए प्रबंधन द्वारा एकबारगी निपटान पेशकश भी अंतिम दौर में है।
शर्मा ने कहा कि दो परियोजनाओं इंडियाबुल्स नासिक और आरकेएम पावरजेन (पहला और दूसरा चरण) के मामले में ऋणदाताओं ने समाधान की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। इन दोनों परियोजनाओं में कंपनी का 8,156 करोड़ रुपए कर्ज है। उन्होंने कहा, ‘‘बड़े कर्जदारों के मामलों को एनसीएलटी में ले जाने की समयसीमा 11 सितंबर को समाप्त हो गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों को एनसीएलटी में ले जाने की अनिवार्यता को फिलहाल रोक दिया है। इसलिए हम इन मामलों को अपने स्तर पर जल्द निपटाने के लिए समाधान प्रक्रिया को पूरा पर ध्यान दे रहे हैं।’’