सरकार ने बुधवार को एक बार फिर यह स्पष्ट किया कि रेलवे के निजीकरण का कोई विचार या प्रस्ताव नहीं है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में यह जानकारी दी। बहरहाल, कुछ ट्रेनों का कॉमर्शियल और ‘‘ऑन बोर्ड’’ सेवाओं का आउटसोर्स करने तथा यात्रियों को बेहतर सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से
नई दिल्लीः सरकार ने बुधवार को एक बार फिर यह स्पष्ट किया कि रेलवे के निजीकरण का कोई विचार या प्रस्ताव नहीं है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में यह जानकारी दी। बहरहाल, कुछ ट्रेनों का कॉमर्शियल और ‘‘ऑन बोर्ड’’ सेवाओं का आउटसोर्स करने तथा यात्रियों को बेहतर सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से चुनिंदा मार्गों पर ट्रेन चलाने के लिए आधुनिक रैकों को शामिल करने के चलते निजी कंपनियों को अनुमति देने का प्रस्ताव है।
आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 को संसद में पेश किए गए बजट में 150 ट्रेनों को पब्लिक प्राइवेट पाटर्नरशिप (PPP) के तहत चलाने का ऐलान किया है। उन्होंने ये घोषणा भी की कि कई पर्यटक स्थलों को जोड़ने के लिए आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर तेजस एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जाएंगी।
पीयूष गोयल ने संसद को बताया कि ऐसे मामलों में ट्रेन परिचालन और संरक्षा प्रमाणन का उत्तरदायित्व रेलवे के पास रहेगा। उन्होंने बताया ‘‘साफ-सफाई और अन्य सेवाओं में सुधार करने के लिए स्टेशन की सफाई, पे एंड यूज शौचालय, विश्राम कक्षों, पार्किंग तथा प्लेटफार्म के रखरखाव जैसी सेवाओं का आउटसोर्स जरूरत के आधार पर किया जा रहा है.
पीयूष गोयल ने शीतकाली सत्र में एक सवाल के जवाब में कहा था कि रेलवे को चलाने के लिए अगले 12 साल में अनुमानित तौर पर 50 लाख करोड़ रुपए की पूंजी सरकार अकेले नहीं जुटा सकती, इसलिए इस तरह के कदम उठाए गए हैं। राज्यसभा में गोयल ने कहा, 'हमारा मकसद यात्रियों को बेहतर सेवाएं और फायदा देना है, न कि रेलवे का निजीकरण करना। भारतीय रेलवे भारत और देशवासियों की संपत्ति है और आगे भी रहेगी।
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