2012-18 के दौरान गई करीब 2 करोड़ पुरुषों की नौकरी, सामने आई NSSO की रिपोर्ट

Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Mar, 2019 06:20 PM

pm failed to fulfil promises of 2 cr jobs in 5 years

एक नई रिपोर्ट में पता चला है कि पिछले 5 सालों में देश में नौकरी करने वाले पुरुषों की संख्या में कमी आई है। वित्त वर्ष 2011-2012 से 2017-18 के दौरान करीब 2 करोड़ पुरुषों की नौकरियां चली गईं।

बिजनेस डेस्कः एक नई रिपोर्ट में पता चला है कि पिछले 5 सालों में देश में नौकरी करने वाले पुरुषों की संख्या में कमी आई है। वित्त वर्ष 2011-2012 से 2017-18 के दौरान करीब 2 करोड़ पुरुषों की नौकरियां चली गईं। यह जानकारी नैशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) की रिपोर्ट में सामने आई है। 

NSSO की आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) 2017-18 की रिपोर्ट के रिव्यू से पता चला है कि 2017-18 के दौरान देश में केवल 28.6 करोड़ पुरुष ही काम कर रहे थे, जबकि साल 2011-12 में यह संख्या 30.4 करोड़ थी। इस रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।

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25 साल में हुआ पहली बार
साल 1993-94 के बाद यह पहली दफा है कि जब भारत में पुरुष कर्मचारियों की संख्या घटी है। उस दौरान 21.9 करोड़ लोग कामकाज कर रहे थे। ये आंकड़े जुलाई 2017 से जून 2018 के दौरान जुटाए गए हैं। शहरी और ग्रामीण इलाकों में पुरुषों में बेरोजगारी की दर क्रमश: 7.1 फीसदी और 5.8 फीसदी है। इस रिपोर्ट को राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) द्वारा मंजूरी भी मिल गई है। मगर, NSC के दो प्रमुख अधिकारियों के इस्तीफे के बाद सरकार ने इसे अपने पास रखा हुआ है।

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साल 2011-12 में ग्रामीण सामयिक श्रमिकों की संख्या 10.9 करोड़ थी। साल 2017-18 में यह 3.2 करोड़ घटकर 7.7 करोड़ ही रह गई है। यह गिरावट करीब 30 फीसदी की है। साथ ही सामयिक श्रम से अधिकांश कमाई करने वाले ग्रामीण घरों की संख्या भी 3।6 करोड़ से घटकर 2.1 करोड़ रह गई है। 

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सरकार का कहना है कि इस तरह के आकड़ों पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं होता है। मगर, दुनिया के 108 अर्थशास्त्रियों ने प‍िछले हफ्ते मोदी सरकार की कड़ी निंदा की थी। उनका कहना था क‍ि सरकार की खराब छवि दर्शाने वाले आंकड़ों को छुपाना सही नहीं है। सरकार का पक्ष रखते हुए आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में संशोधन तथ्यों के आधार पर किए गए हैं। उन्होंने कहा, 'अपवाद हर जगह होते हैं, मगर संशोधन का आधार वास्तविक आंकड़े ही हैं।' 

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