Edited By Supreet Kaur,Updated: 21 Apr, 2018 09:25 AM
हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी भले ही पी.एन.बी. को करोड़ों की चपत लगाकर भाग निकले हैं लेकिन फिर भी पंजाब नैशनल बैंक (पी.एन.बी.) अपने ‘मिशन गांधीगिरी’ को जारी रखे हुए है। पी.एन.बी. का दावा है कि इस मिशन से उसके एन.पी.ए. में से करीब 1800 करोड़...
नई दिल्लीः हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी भले ही पी.एन.बी. को करोड़ों की चपत लगाकर भाग निकले हैं लेकिन फिर भी पंजाब नैशनल बैंक (पी.एन.बी.) अपने ‘मिशन गांधीगिरी’ को जारी रखे हुए है। पी.एन.बी. का दावा है कि इस मिशन से उसके एन.पी.ए. में से करीब 1800 करोड़ रुपए की रिकवरी होने की उम्मीद है। ‘मिशन गांधीगिरी’ जल्द ही एक साल पूरा कर लेगा।
2017 में शुरु किया मिशन गांधीगिरी
बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मिशन गांधीगिरी को मई, 2017 में लांच किया गया था। इसका सकारात्मक असर दिखाई दिया है और इस मुहिम की एवरेज रिकवरी 150 करोड़ रुपए रही है। मिशन गांधीगिरी के पास बैंक के सभी सर्कल्स में एक समर्पित रिकवरी टीम होती है। उसी तरह इस अप्रत्यक्ष रिकवरी प्रणाली में शामिल टीम के सदस्य बकाएदार के घर या आफिस में जाते हैं और उनके साथ प्लेकार्ड्स के साथ बैठकर आराम से बातचीत करते हैं। इसके साथ वे सख्त संदेश भी देते हैं जैसा कि यह पब्लिक मनी है, कृपया लोन को चुका दीजिए। दूसरी ओर विलफुल डिफॉल्टर्स के संबंध में सरकार की ओर से जारी निर्देश के तहत बैंक ने 1084 विलफुल डिफॉल्टर्स घोषित किए हैं।
PNB के सख्त कदम
बैंक के अधिकारी ने बताया कि विलफुल डिफॉल्टर्स के मामले में पी.एन.बी. के सख्त कदम के चलते पिछले कुछ महीने में 150 पासपोर्ट जब्त किए गए हैं। इसके अलावा पिछले 9 महीनों में डिफॉल्टर्स के खिलाफ 37 एफ.आई.आर. दर्ज कराई गईं। बैंक लोन रिकवरी और रिस्क मैनेजमैंट के तहत डाटा एनॉलिटिक्स की भी पड़ताल कर रहा है।
क्रैडिट एजैंसी के साथ करार
अधिकारी ने बताया कि हमने एक प्रमुख क्रैडिट एजैंसी के साथ करार किया है। इसमें थर्ड-पार्टी एक्सपर्ट एनॉलिटिक्स की मदद से हम पी.एन.बी. डिफॉल्टर्स, जिनका दूसरे बैंकों के साथ भी अच्छा क्रैडिट रिकॉर्ड नहीं है, से संपर्क करने की जानकारी एक्सैस करने में अब सक्षम होंगे। यह पार्टनरशिप बैंक के इंटर्नल सिस्टम को मजबूत करने के लिए तकनीक को प्रभावकारी बनाने की एक व्यापक रणनीति है। इस भागीदारी से न केवल बैंक को लोन रिकवरी में मदद मिलेगी बल्कि कर्ज देने की रणनीति, लोन और इससे जुड़े धोखाधड़ी के जोखिम को भी ऑटोमैटिक तरीके से आइडैंटिफाई किया जा सकेगा।