कृषि बाजार सुधारों के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम कर रहा नीति आयोग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Oct, 2017 03:40 PM

policy commission working with states for agricultural market reforms

नीति आयोग ने आज कहा कि वह राज्यों के साथ मिलकर अनुबंध खेती, आनलाईन हाजिर और....

नई दिल्लीः नीति आयोग ने आज कहा कि वह राज्यों के साथ मिलकर अनुबंध खेती, आनलाईन हाजिर और वायदा कारोबार के अलावा निजी निवेश को प्रोत्साहित करने सहित कृषि बाजार क्षेत्र के सुधारों के लिए काम कर रहा है। आयोग का कहना है कि इन सब प्रयासों का ध्येय वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करना है। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशों के बाद कृषि क्षेत्र में रूपांतरण के लिए एक व्यापक एजेंडा तैयार किया गया है। वर्ष 1991 में शुरू आर्थिक सुधारों के बाद अन्य क्षेत्रों की तरह कृषि क्षेत्र में ज्यादा सुधार नहीं हो पाए।

ठेका खेती को प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता
कृषि व्यवसाय के विकास को आगे बढ़ाने में डिजिटल प्रौद्योगिकी की भूमिका पर आयोजित एक आयोजन में बोलते हुए नीति आयोग के सदस्य रमेश चन्द ने कहा कि कृषि क्षेत्र में नियामकीय सुधार इस दौरान धीमा और विचित्र रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्य ध्यान बाकी चीजों के अलावा कृषि उपस्करों और शीत श्रृंखलाओं में निजी क्षेत्र के निवेश को सुविधा एवं सहायता देने पर दिया जा रहा है। चन्द ने कहा कि सुधार के पहले चरण में ठेका खेती को प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है और जिसके लिए एक मॉडल कानून तैयार किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘उम्मीद है, हम दोनों को मिलाने में कामयाब होंगे तथा मॉडल ठेका खेती के अंतिम स्वरूप लेकर सामने आएंगे जिसे राज्यों द्वारा अपनाने के लिए उनके साथ साझा किया जाएगा।"
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खेती में तेजी से डिजिटलीकरण
रमेश चन्द ने कहा कि कृषि जिंसों के व्युत्पन्न कारोबार को प्रोत्साहित करने के लिए वित्त मंत्रालय ने एक समिति गठित की है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि पूर्वोत्तर और मध्य प्रदेश के किसान अपने उत्पादों की बिक्री करने के लिए वायदा कारोबार मंच का उपयोग कर रहे हैं। यहां तक कि मंडियों का इलेक्ट्रानिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) के साथ जुड़ाव बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग ने आवश्यक उपभोक्ता जिंस कानून को खत्म करने का भी प्रस्ताव किया है जो कीमतों को स्थिर रखने के बजाय उन्हें अस्थिर बना रहा है। चन्द का मानना है कि ये वे कुछ सुधार की पहल हैं जो हम राज्यों द्वारा अपनाए जाने के लिए उनके साथ काम कर रहे हैं क्योंकि दुनिया बड़ी तेजी से आगे बढ़ रही है। क्षेत्र में तेजी से डिजिटलीकरण हो रहा है। यह भारत के कृषि क्षेत्र में प्राथमिक स्तर के सुधार का इंतजार नहीं करेगा।    

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