धनतेरस पर फीकी पड़ सकती है सोने की चमक

Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Oct, 2018 11:47 AM

pre dhanterashigh prices cash crunch take sheen off gold this season

बढ़ती कीमतों के बीच नकदी संकट तथा अन्य निवेश विकल्पों की वजह से इस ‘धनतेरस’ सोना अपनी चमक गंवा सकता है। बाजार विशेषज्ञों और उद्योग ने यह राय जताई है। यदि कमजोर धारणा कायम रहती है

मुंबईः बढ़ती कीमतों के बीच नकदी संकट तथा अन्य निवेश विकल्पों की वजह से इस ‘धनतेरस’ सोना अपनी चमक गंवा सकता है। बाजार विशेषज्ञों और उद्योग ने यह राय जताई है। यदि कमजोर धारणा कायम रहती है तो यह लगातार दूसरा साल होगा जबकि सोने की बिक्री उम्मीद के अनुरूप नहीं रहेगी। वर्ष 2017 में धनतेरस पर सोने की बिक्री उससे पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत घटी थी। 2016 में सोने की बिक्री अच्छी रही थी क्योंकि नोटबंदी की घोषणा दिवाली के बाद हुई थी। पिछला साल उद्योग के लिए सबसे खराब रहा था। 

PunjabKesariनोटबंदी और उसके बाद माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन तथा ऊंचे मूल्य की खरीद को केवाईसी नियम कड़े करने की वजह से पिछले साल सोने की बिक्री में जोरदार गिरावट आई थी। आल इंडिया जेम एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल (जीजेसी) के चेयरमैन नितिन खंडेलवाल ने कहा, ‘‘इस धनतेरस मुझे अच्छे कारोबार की उम्मीद नहीं है क्योंकि बाजार में नकदी की कमी की वजह से कारोबारी धारणा अच्छी नहीं है।’’

PunjabKesariइस साल 5-10% कम रह सकती है बिक्री
खंडेलवाल ने कहा कि इस साल मैं बिक्री में पांच से दस प्रतिशत गिरावट की उम्मीद कर रहा हूं। अच्छी स्थिति होगी तो भी बिक्री ज्यादा से ज्यादा पिछले साल के स्तर पर पहुंच सकेगी। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में सोने की कीमतों में तेजी आई है। इस वजह से भी लोग खरीद में हिचकिचाहट दिखा रहे हैं। धनतेरस पर सोने, चांदी और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की खरीद को शुभ माना जाता है। पिछले साल धनतेरस के मौके पर सोना 30,000 रुपए प्रति दस ग्राम के स्तर पर चल रहा था। शनिवार को घरेलू स्तर पर सोना 32,550 रुपए प्रति दस ग्राम पर था। वैश्विक स्तर पर शुक्रवार को न्यूयॉर्क में सोना 1,233.80 डॉलर प्रति औंस पर चल रहा था। 

PunjabKesariम्यूचुअल फंड्स जैसे विकल्प भी कम बिक्री की वजह
खंडेलवाल की बात का समर्थन करते हुए जीजेसी के पूर्व चेयरमैन मनीष जैन ने कहा कि दशहरा त्योहार पर कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ। धनतेरस और दिवाली पर भी यही स्थिति रहने का अंदेशा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम यह उम्मीद कर रहे हैं कि उद्योग पिछले साल के बिक्री के आंकड़े के बराबर पहुंच जाए। हालांकि, मौजूदा धारणा को देखकर लग रहा है कि इस साल बिक्री पिछले साल से कुछ कम ही रहेगी।’’ उन्होंने कहा कि म्यूचुअल फंड्स जैसे बेहतर निवेश विकल्पों की वजह से भी लोग इस त्योहारी सीजन पर सोने की खरीद से बच रहे हैं।

हालांकि, जैन ने कहा कि संगठित क्षेत्र की कंपनियों का प्रदर्शन पिछले साल से बेहतर रहने की उम्मीद है। उद्योग में 70 प्रतिशत हिस्सा असंगठित क्षेत्र का है। नकदी संकट की वजह से असंगठित क्षेत्र ही सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। इस बीच, टाइटन की सहायक उपाध्यक्ष (विपणन आभूषण विभाग) दीपिका अग्रवाल ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी का सभी उद्योगों विशेषरूप से आभूषण क्षेत्र पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल के दौरान बाजार स्थिर हुआ है और यह सतत वृद्धि दर्ज कर रहा है। उन्होंने कहा कि तनिष्क में हमें अक्षय तृतीय, गुड़ी पड़वा, तीज, वरमहालक्ष्मी और दुर्गा पूजा के मौके पर अच्छी मांग देखने को मिली। हम दिवाली सीजन में भी मांग बेहतर रहने की उम्मीद कर रहे हैं।

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