हीरा उद्योग उबारने की तैयारी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 14 Aug, 2018 12:04 PM

preparing to lift diamond industry

देश के रत्नाभूषण उद्योग ने चीन के साथ हाथ मिलाया है। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने शेन्जेन रफ डायमंड एक्सचेंज के साथ समझौता (एमओयू) किया है।

मुंबईः देश के रत्नाभूषण उद्योग ने चीन के साथ हाथ मिलाया है। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने शेन्जेन रफ डायमंड एक्सचेंज के साथ समझौता (एमओयू) किया है। इसके साथ ही जीजेईपीसी ने चीन में अपना कार्यालय शुरू करने का भी फैसला किया है। नेपाल, बांग्लादेश और वियतनाम में भी कारोबार फैलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। दुनिया के दो सबसे बड़े सर्राफा और हीरा बाजारों के बीच कारोबार बढ़ाने के मकसद से यह समझौता किया गया है।

भारतीय रत्न एवं आभूषण उद्योग नए बाजार की तलाश में है। ऐसे में चीन इस समय सबसे बेहतर बाजार लग रहा है। चीन में हीरे की मांग बढ़ी है। जीजेईपीसी के चेयरमैन प्रमोद कुमार अग्रवाल कहते हैं कि चीन में तेजी से बढ़ते हीरा बाजार को देखते हुए हमने शेन्जेन रफ डायमंड एक्सचेंज के साथ हाथ मिलाया है। साथ ही चीन में अपना कार्यालय शुरू  करने का भी फैसला किया है। हम चीन के बाजार को एक विकल्प के रुप में देखते हैं और वहां अपना व्यापार बढ़ाना चाहते हैं। चीन के दूसरे बड़े ज्वैलरी निर्माता भी भारतीय आभूषण विनिर्माताओं के साथ मिलकर कारोबार करना चाह रहे हैं। जरूरत दोनों को है जो व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करेगी।

दोनों देशों के बीच कारोबार तेजी से बढ़ा है। आंकड़ों के मुताबिक 2017 में दोनों देशों के बीच 29 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। दोनों के बीच कुल 2,141 करोड़ डॉलर का कारोबार हुआ जिसमें भारत ने 1,396 करोड़ डॉलर का निर्यात किया। अग्रवाल के मुताबिक चीन के अलावा जीजेईपीसी बांग्लादेश, नेपाल और वियतनाम जैसे छोटे बाजारों में भी अपना बेस स्थापित करने जा रही है जो इस क्षेत्र को मजबूत करेगा। इसके अलावा कुवैत के साथ भी बात चल रही है। 

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