Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Sep, 2018 04:42 PM
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को इस दावे को पूरी तरह से बेतुका और गैर-जिम्मेदाराना बताया कि उसकी नियामकीय पहल से 75 अरब डॉलर की विदेशी पूंजी देश से बाहर निकल जाएगी।
मुंबईः पूंजी बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को इस दावे को पूरी तरह से बेतुका और गैर-जिम्मेदाराना बताया कि उसकी नियामकीय पहल से 75 अरब डॉलर की विदेशी पूंजी देश से बाहर निकल जाएगी।
उल्लेखनीय है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफपीआई) का एक वर्ग इस बात को लेकर भरसक प्रयास कर रहा है कि अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) नियमों में प्रस्तावित बदलावों को वापस ले लिया जाए। कुछ एफपीआई ने नियमों में इन प्रस्तावित बदलावों को लेकर चिंता व्यक्त की थी। हालांकि, सेबी ने इसके लिए पहले ही अधिक समय दे दिया है।
स्टॉक और रुपए पर होगा असर
बहरहाल, इस सबके बीच एसेट मैनेजमेंट राउंडटेबल आफ इंडिया (एएमआरआई) ने इससे पहले सोमवार को कहा था कि यदि इन नए नियमों में काई बदलाव नहीं किया गया तो इससे करीब 75 अरब डॉलर का निवेश भारत में निवेश के लायक नहीं रह जाएगा। माना जा रहा है कि इस राशि का प्रबंधन भारत के विदेशी नागरिकों, भारतीय मूल के लोगों और प्रवासी भारतीयों द्वारा किया जा रहा है। नियमों में बदलाव नहीं होने की स्थिति में इस निवेश को बहुत कम समय के अंदर यहां से निकालना पड़ेगा। संगठन ने इसके साथ ही चेतावनी भी दी है कि यदि ऐसा हुआ तो इसका शेयर बाजार और रुपए पर गहरा असर होगा।
सेबी ने अप्रैल में मांगी थी बेनीफीशियल ओनर की लिस्ट
सेबी ने इस तरह के दावों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए मंगलवार को दिन के शुरूआती समय में ही एक वक्तव्य जारी कर कहा, ‘‘यह दावा करना कि सेबी के अप्रैल 2018 में जारी सकुर्लर की वजह से 75 अरब डॉलर का एफपीआई निवेश देश से बाहर चला जाएगा पूरी तरह से बेतुका और गैर-जिम्मेदाराना है।’’ पूंजी बाजार नियामक ने अप्रैल में दूसरी और तीसरी श्रेणी के एफपीआई से अपने वास्तविक लाभार्थियों की पूरी जानकारी 6 माह के भीतर निर्धारित फार्मेट में उपलब्ध कराने को कहा था। हालांकि, पिछले महीने ही सेबी ने इसकी अंतिम तिथि को दो माह बढ़ाकर दिसंबर तक कर दिया। बाजार नियामक ने एफपीआई को इसके साथ ही आश्वासन भी दिया है कि उन्होंने जो मुद्दे उठाए हैं उन पर एक विशेषज्ञ समिति विचार करेगी।