Edited By ,Updated: 10 Sep, 2016 05:07 PM
अब जबकि वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) कानून का रूप ले चुका है राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उम्मीद जताई है
चेन्नईः अब जबकि वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) कानून का रूप ले चुका है राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उम्मीद जताई है कि सरकार जल्दही जी.एस.टी. परिषद का गठन करेगी और अप्रत्यक्ष करों के गहन असर को कम करेगी। उन्होंने कहा कि जी.एस.टी. लागू होने से भारत की 2,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था और 1.3 अरब उपभोक्ता सभी पहली बार एक साझा बाजार में तब्दील हो जाएंगे।
जी.एस.टी. संविधान संशोधन विधेयक को पिछले महीने संसद से मंजूरी मिलने के बाद 19-20 राज्यों ने इसका अनुमोदन कर दिया। जिसके बाद यह राष्ट्रपति की मंजूरी के योग्य बन गया। राष्ट्रपति ने यहां करर वैश्य बैंक के शताब्दी समारोह के मौके पर कहा, ‘‘और मुझे उम्मीद है कि वित्त मंत्रालय अब जी.एस.टी. परिषद बनाने के लिए उचित कदम उठाएगा जो कि जी.एस.टी. की दर तय करेगी, क्योंकि अब यह जी.एस.टी. परिषद की जिम्मेदारी होगी कि हमारी अर्थव्यवस्था में वस्तु एवं सेवा कर की एक समान दर हो।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्पाद शुल्क, सेवा शुल्क और मूल्यवद्र्धित कर जैसे विभिन्न प्रकार के केंद्रीय और राज्य अप्रत्यक्ष करों को समाहित करने वाला जी.एस.टी. न केवल एक समान दर वाला होगा बल्कि इसके तहत विभिन्न बिंदुओं पर भी कर नहीं देना होगा। जी.एस.टी. व्यवस्था में केवल एक बिंदु पर ही कर लगेगा। इसलिए इस नई व्यवस्था का असर गंभीर नहीं होगा।
मुखर्जी ने कहा कि जी.एस.टी. विधेयक के पारित होने से लगभग डेढ़ दशक से अधिक समय से की जा रही मेहनत सफल हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार संवैधानिक प्रक्रियाओं का अनुपालन होने और दोनों सदनों में संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद परसों तक 19 से अधिक शायद 20 राज्यों ने इसका अनुमोदन कर दिया, जिससे यह राष्ट्रपति की अनुशंसा के योग्य बन गया।’’
मुखर्जी ने कहा कि भारत ने वर्ष 2015 में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ सबसे तेजी से वृद्धि दर्ज करने वाली अर्थव्यवस्था के तौर पर अपने-आपको दृढ़ता से स्थापित किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम विश्वास से कह सकते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है और हमारी संभावना बेहतर है क्योंकि हम 2016 और 2017 दोनों में 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करने वाले हैं।’’
प्रणब ने कहा कि भारत के बाहरी मोर्चे पर भी स्थिति स्थिर बनी हुई है। चालू खाते का घाटा वर्ष 2015-16 में सुधरकर 1.1 प्रतिशत हो गया जो कि इससे पिछले वर्ष 1.3 प्रतिशत पर था। विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़कर 365 अरब डॉलर पर पहुंच गया। उन्होंने कहा, ‘‘इस साल सामान्य बारिश के मद्देनजर मुझे उम्मीद है कि हमारा खाद्यान्न उत्पादन 2013-14 में हासिल 26.5 करोड़ टन के रिकार्ड को पार कर जाएगा।’’