Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Sep, 2019 12:17 PM
रियल एस्टेट मार्केट में नकदी की तंगी, खरीदारों की बदलती प्राथमिकता और अफोर्डेबिलिटी को लेकर बढ़ती चिंता ने डिवेलपर्स को अपने प्रॉडक्ट रणनीति में बदलाव करने पर मजबूर कर दिया। इन सभी फैक्टर्स से रियल्टर्स पर सात अहम प्रॉपर्टी मार्केट में अपार्टमेंट...
मुंबईः रियल एस्टेट मार्केट में नकदी की तंगी, खरीदारों की बदलती प्राथमिकता और अफोर्डेबिलिटी को लेकर बढ़ती चिंता ने डिवेलपर्स को अपने प्रॉडक्ट रणनीति में बदलाव करने पर मजबूर कर दिया। इन सभी फैक्टर्स से रियल्टर्स पर सात अहम प्रॉपर्टी मार्केट में अपार्टमेंट साइज घटाने का दबाव भी बढ़ा। उन्होंने पिछले पांच वर्षों में अपार्टमेंट का औसत आकार 27 प्रतिशत तक कम कर दिया है। 2014 में अपार्टमेंट साइज करीब 1,400 वर्ग फुट होता था, जो 2019 में घटकर 1,020 वर्ग फुट पर आ गया।
एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के डेटा के मुताबिक, देश के सबसे महंगे प्रॉपर्टी मार्केट मुंबई में अपार्टमेंट साइज सबसे ज्यादा 45 प्रतिशत तक कम घटा। वहीं, पुणे 38 प्रतिशत तक की कमी के साथ दूसरे नंबर पर रहा। यह भी हैरानी की बात है कि इस दौरान आवासीय बाजार में सबसे बुरे दौर से गुजर रहे NCR (नैशनल कैपिटल रीजन) में अपार्टमेंट का साइज महज 6 प्रतिशत घटकर 1,390 वर्ग फुट पर रहा। यह बेंगलुरु से थोड़ा आगे रहा, जहां 2019 में फ्लैट साइज घटकर 1,300 वर्ग फुट तक आ गया।
एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने बताया, ‘मेट्रो शहरों में अपार्टमेंट साइज कम होने के महत्वपूर्ण कारणों में किफायती मकानों की डिमांड सबसे ऊपर है। फ्लैट के खरीदार किफायती आवास के लिए सरकार की क्रेडिट सब्सिडी का फायदा उठाने की संभावनाएं भी तलाश रहे हैं। इसमें आवासीय मकान की 45 लाख रुपये से कम होने की शर्त होती है। साथ ही, ओवरऑल लोडिंग सहित कार्पेट एरिया 60 वर्ग मीटर या 850 वर्ग फुट बिल्ट-अप एरिया से अधिक नहीं होना चाहिए।’
अपार्टमेंट की साइज में खासतौर पर अफोर्डेबल सेगमेंट में खरीदारों को सब्सिडी का फायदा लेने में मदद कर रहा है। इसके अलावा, किफायती मकान खरीदने से जीएसटी बेनिफिट भी मिलता है। मिड सेगमेंट होम पर 5 प्रतिशत के मुकाबले अफोर्डेबल हाउसिंग पर जीएसटी 1 प्रतिशत है।