Edited By jyoti choudhary,Updated: 14 Jan, 2019 02:38 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे महत्वाकांक्षी योजना यानी मुद्रा लोन अब देश के बैंकों के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गई है। दरअसल, इस योजना के तहत छोटे कारोबारियों और उद्यमियों को लोन दिया जाना था लेकिन आरबीआई की एक
बिजनेस डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे महत्वाकांक्षी योजना यानी मुद्रा लोन अब देश के बैंकों के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गई है। दरअसल, इस योजना के तहत छोटे कारोबारियों और उद्यमियों को लोन दिया जाना था लेकिन आरबीआई की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि इस योजना के तहत ‘बैड लोन्स’ करीब 11,000 करोड रुपए तक पहुंच चुका है। इससे देश की बैंकिंग व्यवस्था को बढ़ा झटका लग सकता है ऐसा माना जा रहा है कि नॉन परफॉर्मिंग असेट (एनपीए) का अगला कारण बन सकता है। पहले से ही सरकारी बैंकों का एनपीए 10 लाख करोड़ रुपए पहुंच चुका है। आरबीआई का कहना है कि मुद्रा लोन के चलते एनपीए से बैंकिंग व्यवस्था के सामने बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
अब तक बांटा गया है 2.46 लाख करोड़ रुपए का कर्ज
रिजर्व बैंक ने बताया है कि 2017-2018 में आई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2018 में इस स्कीम के तहत कुल 2.46 लाख करोड़ रुपए का कर्ज बांटा गया है। योजना के तहत दिए गए कुल कर्ज में 40 प्रतिशत महिला उद्यमियों को दिया गया, जबकि 33 प्रतिशत सोशल कैटिगरी में बांटा गया। वित्तीय वर्ष 2017-2018 के दौरान प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 4.81 करोड़ रुपए से ज्यादा का फायदा छोटे कर्जदारों को पहुंचाया गया।
2015 में हुई शुरुआत
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत 8 अप्रैल, 2015 को हुई थी। इस स्कीम के तहत बैंक छोटे उद्यमियों को 10 लाख रुपए तक का लोन दे सकते हैं। लोन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। 'शिशु' कैटिगरी में 50,000 रुपए, 'किशोर' कैटिगरी में 50,001 रुपए से 5 लाख रुपए और 'तरुण' कैटिगरी में 5,00,001 रुपए से 10 लाख रुपए तक का लोन दिया जाता है।
पहले से ही लड़खड़ाई हुई है वित्तीय व्यवस्था
आरबीआई की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब देश की वित्तीय व्यवस्था IL&FS संकट के चलते लड़खड़ाई हुई है और इससे बैंकों को नुकसान हुआ है। इस कड़ी में ताजा मामला इंडसइंड बैंक का है। IL&FS ग्रुप पर 91 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। इसे अभी नकदी संकट का सामना करना पड़ रहा है। 91 हजार करोड़ रुपए के कर्ज में सिर्फ IL&FS के खाते में करीब 35 हजार करोड़ रुपए जबकि इसकी फाइनैंशल सर्विसेज कंपनी पर 17 हजार करोड़ रुपए बकाया है। गौरतलब है कि ग्रुप पर 57 हजार करोड़ रुपए बैंकों का बकाया है और इसमें अधिकांश हिस्सेदारी सार्वजनिक बैंकों की है।