CIC का RBI को आदेश: नोटबंदी के बाद किए नोटों की छपाई के आंकड़े करे सार्वजनिक

Edited By Isha,Updated: 18 Dec, 2018 11:09 AM

print the figures of notes made after the ban on publications cic

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने कहा है कि रिजर्व बैंक की अनुषंगी इकाई भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण यह बताने में विफल रही है कि नोटबंदी के बाद जारी 2,000 आर 500 रुपए के नोट के बारे में जानकारी देने से कैसे देश का आर्थिक हित प्रभावित होगा। सीआईसी ने...

नई दिल्लीः केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने कहा है कि रिजर्व बैंक की अनुषंगी इकाई भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण यह बताने में विफल रही है कि नोटबंदी के बाद जारी 2,000 आर 500 रुपए के नोट के बारे में जानकारी देने से कैसे देश का आर्थिक हित प्रभावित होगा। सीआईसी ने आरबीआई को इस बारे में जानकारी देने को कहा है। आरबीआई की पूर्ण अनुषंगी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण का दावा है कि मुद्रा की छपाई और संबंधित गतिविधियां लोगों के साथ साझा नहीं की जा सकती क्योंकि इससे नकली मुद्रा का प्रसार होगा तथा आॢथक समस्याएं उत्पन्न होगी। सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव मामले की सुनवाई कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपए के नोट को चलन से हटाने की घोषणा की थी। उसके बाद 2000 रुपए और 500 रुपए के नए नोट जारी किए गए।
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आयोग हरीन्द्र धींगड़ा की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। उन्होंने सूचना के अधिकार कानून के तहत नौ नवंबर से 30 नवंबर 2016 के बीव छापे गए 2,000 रुपए और 500 रुपए के नोट की संख्या के बारे में जानकारी मांगी थी। जानकारी प्राप्त करने में विफल रहने के बाद उन्होंने आयोग में अर्जी दी। आरबीआई की इकाई ने जवाब में कहा कि नोट छपाई एवं संबद्ध गतिविधियां काफी गोपनीय मामला है। इसमें कच्चे माल, छपाई, भंडारण, परिवहन आदि जैसे अहम ब्योरे जुड़े हैं तथा इसे लोगों के साथ साझा नहीं किया जा सकता है। अगर यह जानकारी दी जाती है तो इससे नकली नोट का प्रयास तथा आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होने की आशंका है। जवाब में यह भी दावा किया गया है कि आंकड़ों की घोषणा से देश की संप्रभुता और एकता, सुरक्षा, आर्थिक हित को प्रभावित करेगा।
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अत: इस प्रकार की सूचना आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (ए) के तहत नहीं देने से छूट है। भार्गव ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि रोजाना छपाई होने वाले नोट का आंकड़ा इतना संवेदनशील नहीं है जिसे आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (ए) के तहत छूट मिले।उन्होंने कहा कि यह नहीं माना जा सकता कि यह सूचना देने से छपाई से संबंधित कच्चे माल, भंडारण आदि की जानकारी का खुलासा होगा। सूचना देने का निर्देश देते हुए भार्गव ने कहा कि पुन: मुख्य सूचना अधिकारी यह बताने में नाकाम रहे कि किस प्रकार से यह सूचना देश के आॢथक हित को प्रभावित करेगा।

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