Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Mar, 2018 04:57 AM
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिय़ा ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की पुरजोर वकालत की है। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एस.बी.आई.) को इस दायरे से बाहर रखने पर जोर दिया है। वर्तमान में कोलंबिया...
नई दिल्ली: नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिय़ा ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की पुरजोर वकालत की है। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एस.बी.आई.) को इस दायरे से बाहर रखने पर जोर दिया है।
वर्तमान में कोलंबिया विश्वविद्यालय (अमरीका) में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक पनगढिय़ा ने कहा कि सार्वजनिक बैंकों में घोटाले और बढ़ते फंसे कर्ज (एन.पी.ए.) की अधिकता उनके निजीकरण के बहुत से कारणों में सिर्फ एक, लेकिन बेहद महत्वपूर्ण कारण है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि जो भी राजनीतिक दल वर्ष 2019 में सरकार बनाने बारे वकई गंभीर है उसे सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण का मुद्दा अपने चुनावी घोषणा-पत्र में शामिल करना चाहिए।
उन्होंने हाल ही में हुए बैंकिंग फ्रॉड, जिसमें करीब 13,000 करोड़ रुपए का पंजाब नैशनल बैंक फ्रॉड शामिल है, के संदर्भ में यह जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि जहां तक दक्षता और उत्पादकता की बात है यह समय की मांग है कि सरकार बड़ी संख्या में बैंकों से अपना नियंत्रण समाप्त कर दे।
अमरीका भारत के व्यापार को और उदार बनाने की बात कहने से नहीं हिचकिचाएगा
अमरीका के राष्ट्रपति द्वारा व्यापार के मामले में भारत पर निशाना साधे जाने बारे पूछे जाने पर पनगढिय़ा ने कहा कि अमरीका भारतीय उत्पादों के लिए अपना बाजार बंद करे इस तरह का जोखिम उठाने की बजाय वह भारत के व्यापार को और उदार बनाने की बात कहने से नहीं हिचकिचाएगा। नोबेल पुरस्कार विजेता पाल क्रूगमैंस की हाल की टिप्पणी बारे पूछे जाने पर नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा, ‘‘बड़ी संख्या में बेरोजगारी से बचने की बजाय उत्पादक और बेहतर वेतन वाली नौकरियां पैदा करने के लिए मेरा मानना है कि विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि जरूरी है।’’
भारतीय अर्थव्यवस्था वृहद आर्थिक मामले में स्थिर बनी रहेगी
अर्थव्यवस्था की सकल स्थिति बारे उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वृहद आर्थिक मामले में स्थिर बनी रहेगी। उन्होंने कहा, ‘‘आखिरी 2 तिमाहियों में जो आंकड़े उपलब्ध हैं, भारतीय अर्थव्यवस्था 2017-18 की पहली तिमाही में 5.7 प्रतिशत की वृद्धि से आगे बढ़कर दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ी है। मेरा मानना है कि वृद्धि की गति बढऩे का क्रम जारी रहेगा।’’