Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Mar, 2018 11:27 AM
गेहूं के आटे से बनने वाले प्रोडक्ट्स के लिए उपभोक्ताओं को ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। दरअसल इस साल गेहूं की पैदावार कम हो सकती है और सरकार ने इसके लिए ऊंचे न्यूनतम समर्थन मूल्य का ऐलान किया है। यह बात आई.टी.सी. लिमिटेड के ग्रुप हैड-एग्रीकल्चर एस. शिव...
नई दिल्लीः गेहूं के आटे से बनने वाले प्रोडक्ट्स के लिए उपभोक्ताओं को ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। दरअसल इस साल गेहूं की पैदावार कम हो सकती है और सरकार ने इसके लिए ऊंचे न्यूनतम समर्थन मूल्य का ऐलान किया है। यह बात आई.टी.सी. लिमिटेड के ग्रुप हैड-एग्रीकल्चर एस. शिव कुमार ने कही है।
देश में गेहूं से प्रमुख तौर पर ब्रेड और बिस्कुट तैयार किए जाते हैं इसके अलावा आटा, मैदा, सूजी जैसे उत्पाद भी गेहूं से ही तैयार होते हैं, ऐसे में आने वाले दिनों में इस तरह के तमाम प्रोडक्ट्स की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।
उनका मानना है कि भावांतर भुगतान योजना से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले। इससे प्राइस डिस्कवरी और प्रोक्योरमैंट का काम पूरी तरह बाजार की ताकतों के जिम्मे आ जाएगा। शिव कुमार ने कहा कि अभी सबसे पहली प्राथमिकता किसानों की आमदनी बढ़ाना है। मुझे नहीं लगता कि कोई इस बात से इंकार करेगा कि कंज्यूमर्स को सामान का वाजिब दाम चुकाना चाहिए लेकिन दाम कितना बढ़ेगा यह बाजार की क्षमता और वैल्यू एडिशन पर निर्भर करेगा।