वित्त वर्ष 2018 में दलहन आयात में 10 लाख टन की गिरावट

Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 May, 2018 07:26 PM

pulses import falls by 1 million tonne in fy 18

दलहनों के रिकॉर्ड उत्पादन के कारण वित्तवर्ष 2017-18 में दलहनों-दालों का आयात लगभग दस लाख टन घट गया, जिससे देश को 9,775 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा को बचाने में मदद मिली है। सरकार ने आज यह जानकारी दी है।

नई दिल्लीः दलहनों के रिकॉर्ड उत्पादन के कारण वित्तवर्ष 2017-18 में दलहनों-दालों का आयात लगभग दस लाख टन घट गया, जिससे देश को 9,775 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा को बचाने में मदद मिली है। सरकार ने आज यह जानकारी दी है।

कृषि मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'वर्ष 2016-17 में 66 लाख टन के मुकाबले वर्ष 2017-18 में दलहन आयात 10 लाख टन घटकर 56.5 लाख टन रह गया है, जिसके परिणामस्वरूप देश की विदेशी मुद्रा की बचत 9,775 करोड़ रुपए की हो गई है।' अगले महीने समाप्त हो रहे चालू फसल वर्ष 2017-18 में दलहन उत्पादन अब तक के उच्चतम स्तर 2 करोड़ 39.5 लाख टन को छू गया और इस प्रकार वर्ष 2016-17 में हासिल किए गए 2 करोड़ 31.3 लाख टन के पहले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।

अच्छे मॉनसून के साथ-साथ सरकार की ओर से उच्च समर्थन मूल्य के प्रस्ताव किए जाने के कारण दलहन उत्पादन में वृद्धि हुई है। वर्ष 2016 के मध्य में खुदरा बाजार में दालों की कीमत 200 रुपए प्रति किलोग्राम से अधिक हो जाने के बाद, केंद्र सरकार अपने दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने और देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न कदम उठा रही है। 

भारत अपने 2.4 करोड़ टन की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए हर साल 40 से 60 लाख टन दालों का आयात करती है। भारी उत्पादन के मद्देनजर, सरकार ने दलहनों पर आयात शुल्क लगाया है और दालों की विभिन्न किस्मों पर मात्रात्मक प्रतिबंध लगाया है। मटर के आयात पर आयात शुल्क 60 प्रतिशत, पीले मटर पर 50 प्रतिशत, मसूर पर 30 प्रतिशत और तुअर पर 10 प्रतिशत तय किया गया है। इसके अलावा, सरकार ने कहा कि उसने प्रति वर्ष 2 लाख टन प्रति वर्ष तुअर दाल और उड़द और मूंग दाल पर तीन लाख टन का मात्रात्मक प्रतिबंध लगाया है।

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