Edited By Supreet Kaur,Updated: 30 Sep, 2019 04:33 PM
भारतीय रेलवे को आमदमी में कमी और बढ़ते खर्च के बीच साल के आखिर तक करीब तीस हजार करोड़ रुपए की नकदी की कमी का सामना करना पड़ा रहा है। इसके लिए रेलवे बोर्ड के सदस्यों ने ट्रेनों और स्टेशनों को साफ करने के लिए स्पॉन्सर से लेकर ट्रेनों के....
नई दिल्लीः भारतीय रेलवे को आमदमी में कमी और बढ़ते खर्च के बीच साल के आखिर तक करीब तीस हजार करोड़ रुपए की नकदी की कमी का सामना करना पड़ा रहा है। इसके लिए रेलवे बोर्ड के सदस्यों ने ट्रेनों और स्टेशनों को साफ करने के लिए स्पॉन्सर से लेकर ट्रेनों के संचालन में कमी करने का सुझाव दिया है। 17 जोनल यूनिट्स को 6 सितंबर को भेजे एक लेटर में बोर्ड ने कहा, खर्च को कम करने और आमदनी बढ़ाने के नजरिए से रेलवे बोर्ड ने कई तात्कालिक और अल्पकालिक उपायों पर विचार किया जिन पर गौर करने की जरुरत है।
कमाई में आई गिरावट
अगस्त के आकड़ों से पता चलता है कि रेलवे पहले ही अपने खर्च की समीक्षा कर चुका है। इसमें पता चला है कि रेलवे की करीब 3.4 फीसदी कमाई बढ़ी है जबकि खर्चों में 9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने बताया, जुलाई तक हमारे खर्च और कमाई के आकंड़े ठीक थे। मगर अगस्त में हमारी कमाई में कमी आई क्योंकि अभूतपूर्व बाढ़ से कोयले के लदान पर फर्क पड़ा। हालांकि हम हालात से निपटने में सक्षम है और स्थिति को नियंत्रण में बनाए रखने के लिए तात्कालिक उपाय लागू कर रहे हैं।
सुझाए कई उपाय
रेलवे बोर्ड में जो प्रस्तावित उपाय बताए हैं उनमें स्पॉन्सरशिप और कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के जरिए ट्रेनों और स्टेशनों की सफाई करवाएं, पचास फीसदी से कम भीड़ वाली गाड़ियों की समीक्षा करें और उनका संचालन कम करें या दूसरी ट्रेनों से मर्ज करें, डीजल बचाने के लिए 30 साल से पुराने डीजल इंजनों को रिटायर्ड करें, बेहतर कमाई के लिए रखरखाव और संचालन कार्यों को बेहतर करें। वीके यादव ने कहा, हमने ईंधन की खपत को कम करने और इन्वेंट्री की लागत को कम करने के लिए रणनीति बनाई है। हमें उम्मीद है कि साल के आखिर तक अपने बजट टारगेट का मिलान करने में सक्षम होंगे।