Edited By Supreet Kaur,Updated: 22 Nov, 2019 04:26 PM
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि सरकार रेलवे का निजीकरण नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि यात्रियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सिर्फ कुछ कमर्शियल और ऑन बोर्ड सर्विसेज की आउटसोर्सिंग की जा रही है। प्रश्नकाल के...
नई दिल्लीः रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि सरकार रेलवे का निजीकरण नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि यात्रियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सिर्फ कुछ कमर्शियल और ऑन बोर्ड सर्विसेज की आउटसोर्सिंग की जा रही है। प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए कई प्रश्नों के जवाब में गोयल ने कहा कि सरकार के लिए यह संभव नहीं है कि रेलवे के परिचालन के लिए अगले 12 साल में अनुमानित 50 लाख करोड़ रुपये के फंड व्यवस्था की जा सके। इसलिए, यह कदम उठाया गया है।
गोयल ने कहा कि हमारा उद्देश्य बेहतर सेवाएं और लाभ देने कहा है न कि भारतीय रेल के निजीकरण का। भारतीय रेल हमेशा से भारत और यहां के लोगों की संपत्ति रही है और बनी रहेगी। सरकार के आकलन के अनुसार, भारतीय रेल को अगले 12 साल में लगभग 50 लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी। गोयल ने कहा कि हर दिन सदस्य लाइन और बेहतर सेवाओं की एक नई मांग करते हैं। भारत सरकार के लिए यह संभव नहीं है कि वह अगले 12 साल में 50 लाख करोड़ रुपये भारतीय रेल को दे। यह हम सब जानते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ बजटीय सीमाएं और अन्य वास्तविक मुद्दे भी हैं।
यात्रियों की भीड़ के मद्देनजर नई सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए नई ट्रेनें और ज्यादा निवेश की जरूरतों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई प्राइवेट प्लेयर निवेश करना चाहता है और वर्तमान प्रणाली को भारतीय रेल के स्वामित्व में चलाना चाहता है तो उपभोक्ताओं और पैसेंजर्स को इससे लाभ होगा। रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगदी ने कहा कि भारतीय रेल के मौजूदा कर्मचारी इससे प्रभावित नहीं होंगे। प्राइवेट प्लेयर्स अच्छी सेवाएं उपलब्ध कराएंगे साथ ही नौकरी के नए अवसरों का सृजन भी करेंगे।