Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Feb, 2022 08:42 AM
देश में ढांचागत परियोजनाओं के लिए दीर्घावधि वित्त की उपलब्धता एक चुनौती है जिससे वित्तीय नियमन में बदलाव की जरूरत पैदा हुई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को इसका जिक्र किया। सार्वजनिक क्षेत्र की ढांचागत वित्त कंपनी आईआईएफसीएल के प्रबंध
कोलकाताः देश में ढांचागत परियोजनाओं के लिए दीर्घावधि वित्त की उपलब्धता एक चुनौती है जिससे वित्तीय नियमन में बदलाव की जरूरत पैदा हुई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को इसका जिक्र किया। सार्वजनिक क्षेत्र की ढांचागत वित्त कंपनी आईआईएफसीएल के प्रबंध निदेशक पी आर जयशंकर ने एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ढांचागत परियोजनाओं के लिए कोष का बड़ा हिस्सा बैंकों से आता था। फिलहाल बैंकों की जगह गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) और ढांचागत वित्त कंपनियों ने ले ली है।’’
उन्होंने कहा कि मानक परिसंपत्तियों को परिभाषित करने के लिए सोच में बदलाव जरूरी है क्योंकि इससे दीर्घावधि का वित्त जुटाने में मदद मिलेगी। जयशंकर ने कहा, ‘‘इस समय वित्तीय नियमन में बदलावों की जरूरत है क्योंकि ढांचागत परियोजनाओं को पूरा होने में लंबा वक्त लगता है।’’ उन्होंने कहा कि एक पहलू एक ढांचागत फर्म से दूसरी ढांचागत फर्म को वित्त की आपूर्ति से भी जुड़ा हुआ है जिससे देश में ढांचागत परियोजनाओं को वित्त मुहैया कराने में मदद मिलेगी।