दर में फेरबदल: प्रॉपर्टी डिवैल्परों को और कटौती की आस

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Aug, 2017 11:12 AM

rate shuffle  more to property develers

भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) द्वारा रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती किए जाने से प्रॉपर्टी डिवैल्परों के बीच उत्साह दिख रहा है लेकिन

मुम्बई: भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) द्वारा रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती किए जाने से प्रॉपर्टी डिवैल्परों के बीच उत्साह दिख रहा है लेकिन उनको केन्द्रीय बैंक से और कटौती की आस है। नरमी के अलावा डिवैल्पर वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) से जुड़ी समस्याओं का भी सामना कर रहे हैं जिससे महंगे अपार्टमैंट की बिक्री को झटका लगा है और अनुपालन के लिहाज से रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम यानी रेरा के प्रावधान काफी सख्त हैं। डिवैल्पर फिलहाल रेरा प्रावधानों के अनुपालन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जिससे बिक्री और नई परियोजनाओं की रफ्तार भी सुस्त पड़ गई है।

हीरानंदानी कम्युनिटीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि हालांकि यह मौद्रिक नीति समिति (एम.पी.सी.) को तय करना है लेकिन भारत में कारोबार और उद्योग के मौजूदा परिदृश्य के मद्देनजर आर.बी.आई. द्वारा दरों में कटौती के लिए यह अनुकूल समय है क्योंकि मुद्रास्फीति के औसत स्तर पर बरकरार रहने के आसार हैं। हीरानंदानी ने कहा कि 50 आधार अंकों की कटौती स्वागत योग्य होती लेकिन लगातार 4 समीक्षा दरों में स्थिरता के बाद 25 आधार अंकों की कटौती भी स्वागत योग्य कदम है।

सस्ते आवासीय क्षेत्र को कोई खास फायदा नहीं 
सस्ती आवासीय परियोजनाओं में निवेश करने वाली कम्पनी ब्रिक ईगल के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी राजेश कृष्णन ने कहा कि 25 आधार अंकों की कटौती से सस्ते आवासीय क्षेत्र को कोई खास फायदा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे का दर्जा मिलने के बावजूद बैंक सस्ती आवासीय परियोजनाओं को पर्याप्त ऋण नहीं दे रहे हैं इसलिए इस क्षेत्र को हमेशा पूंजी की कमी जैसी समस्या से जूझना पड़ता है। हमारा मानना है कि इसमें बदलाव तभी आएगा जब सस्ती आवासीय परियोजनाओं को ऋण के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में शामिल किया जाएगा।
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एम.सी.एल.आर. व्यवस्था की होगी समीक्षा
उधारी दर घटाने के लिए बैंकों की तरफ  से पर्याप्त कदम नहीं उठाने पर नाखुशी जताते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि आंतरिक समूह इस व्यवस्था की समीक्षा करेगा। आर.बी.आई. बैंक की उधारी दर को बाजार से तय होने वाले बैंचमार्क  से सीधे जोडऩे के तरीके की खोज भी करेगा। हालांकि फंड आधारित उधारी दर (एम.सी.एल.आर.) की सीमांत लागत की व्यवस्था आधार दर की व्यवस्था के मुकाबले सुधार प्रदॢशत करता है लेकिन बैंकों की तरफ  से उधारी में नरमी के लिए उठाए गए कदम असंतोषजनक हैं। आर.बी.आई. ने एक बयान में यह जानकारी दी।

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