Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Jan, 2019 12:07 PM
कपड़ों के क्षेत्र में सबसे पुरानी कंपनी रेमंड के मालिक विजयपत सिंघानिया और उनके बेटे गौतम सिंघानिया के बीच काफी लंबे समय से चला रहा झगड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में विजयपत सिंघानिया ने
बिजनेस डेस्कः कपड़ों के क्षेत्र में सबसे पुरानी कंपनी रेमंड के मालिक विजयपत सिंघानिया और उनके बेटे गौतम सिंघानिया के बीच काफी लंबे समय से चला रहा झगड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में विजयपत सिंघानिया ने कहा कि उन्होंने 3 साल पहले रेमंड ग्रुप अपने बेटे के नाम कर दिया था। यह फैसला लेते समय उन्हें लगा था कि उनका यह बिजनेस परिवार के अधीन ही रह जाएगा लेकिन अब वह अपने फैसले पर पछता रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्होंने जिस बेटे को अपना पूरा कारोबार दिया उसी बेटे ने उन्हें अपने फ्लैट से निकाल दिया। अब विजयपत सिंघानिया ने अपनी प्रॉपर्टी वापस लेने के लिए कोर्ट में लडाई लड़ने का फैसला किया है।
कंपनी ने किया था चेयरमैन पद से बर्खास्त
विजयपत सिंघानिया ने 1925 में रेमंड जैसे ब्रांड की स्थापना की थी उनको ही कंपनी ने चेयरमैन पद से बर्खास्त कर दिया था। रेमंड के चेयरमैन रहे विजयपत सिंघानिया को इस बात की जानकारी कंपनी के द्वारा मिले एक पत्र के जरिए हुई।
दो साल से चल रहा है विवाद
विजयपत सिंघानिया और उनके बेटे गौरव सिंघानिया के बीच संपत्ति को लेकर के करीब दो सालों से विवाद चल रहा है। यह विवाद उच्च न्यायालय तक पहुंच गया। हालांकि न्यायालय ने बाप-बेटों से बातचीत के जरिए मामला सुलझाने के लिए कहा था।
कंपनी को लिखे थे पत्र
इससे पहले बेटे के खिलाफ विजयपत सिंघानिया ने कई पत्र कंपनी के बोर्ड को लिखे थे। इन पत्रों में विजयपत ने शिकायत की थी कि उन्हें बोर्ड की बैठक के बारे में सूचना नहीं दी जा रही है। कंपनी के सीए और निदेशक थॉमस फर्नाडिज की तरफ से 7 सितंबर को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि विजयपत ने अपने पत्र में काफी अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया था।
परिवार में जो विवाद चल रहा है, उसका कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है। उनके गलत आचरण और व्यवहार के कारण कंपनी ने आजीवन चेयरमैन बने रहने के पद से बर्खास्त करने का निर्णय लिया है।
गौतम सिंघानिया ने किया बचाव
गौतम सिंघानिया ने अपने पिता के द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके पिता को भूलने की बीमारी हो गई है। उनको याद नहीं रहता है कि वो किससे कब और क्या बोले हैं। मैं अभी भी सारे विवाद बातचीत के जरिए सुलझाना चाहता हूं लेकिन कंपनी के मामले वो राय नहीं दे सकते हैं। उनको हटाने का फैसला बोर्ड ने लिया है और मेरी इसमें किसी तरह की कोई भूमिका नहीं है।