Edited By Seema Sharma,Updated: 06 Jun, 2019 12:17 PM
भारतीय रिजर्व बैंक ने बड़ा तोहफा देते हुए तीसरी बार रेपो रेट में कटौती की है। रिजर्व बैंक के इस फैसले के साथ ही अब लोन लेना सस्ता होगा। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट घटाकर 0.25 प्रतिशत कर दी है।
नई दिल्ली: सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा के दौरान रेपो रेट में 0.25% कटौती की है। RBI के इस फैसले के साथ अब लोन सस्ता हो जाएगा। रिजर्व बैंक के इस फैसले के साथ ही अब रीपो रेट 6.0% से घटकर 5.75% हो गया। एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने रीपो रेट में कटौती का समर्थन किया। वहीं वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी विकास दर अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर सात फीसदी कर दिया गया है। छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की। नई मौद्रिक नीति के तहत रिवर्स रीपो रेट घटकर 5.50 प्रतिशत, जबकि बैंक रेट 6 प्रतिशत पर आ गया है। हालांकि सीआआर में कोई कटौती नहीं की गई है।
सस्ता होगा लोन
रेपो रेट में कटौती रे साथ ही बैंक भी अब कम ब्याज दर पर होम लोन, कार लोन सहित अन्य लोन ऑफर कर पाएंगे। इससे नया लोन सस्ता हो जाएगा, जबकि लोन ले चुके लोगों को या तो ईएमआई में या रीपेमेंट पीरियड में कटौती का फायदा मिल सकता है। बता दें कि रेपो रेट ब्याज की वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक बैकों को फंड मुहैया कराता है। इसलिए रेपो रेट घटने से बैंकों को आरबीआई से सस्ती फंडिंग प्राप्त हो सकेगी।
एक नजर प्रमुख अंशों पर
- रिजर्व बैंक ने 2019-20 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान मुद्रास्फीति 3-3.10 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया।
- पिछली समीक्षा में यह अनुमान 2.90-3.0 प्रतिशत का था।
- रिजर्व बैंक ने अपने नीतिगत रुख को ‘तटस्थ' से ‘नरम' किया।
- रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिए जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को पहले के 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत किया।
- रिवर्स रेपो दर 5.50 प्रतिशत जबकि उधार की सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) पर ब्याज दर और बैंक दर 6.0 प्रतिशत की गई।
- एटीएम शुल्क को लेकर बनेगी समिति।
- आरटीजीएस और एनईएफटी पर अब कोई शुल्क नहीं ।
RBI ने तीसरी बार घटाया रेपो रेट
यह चालू वित्त वर्ष की दूसरी मौद्रिक नीति समीक्षा है। आरबीआई ने इससे पहले अप्रैल में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की थी। आरबीआई ने इससे पहले तीन बार से अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को लेकर स्थिति पहले जैसी बरकरार रखी थी।