RBI क्रेडिट पॉलिसी: अभी सस्ता नहीं होगा कर्ज, RBI ने दरों में नहीं किया कोई बदलाव

Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Feb, 2022 10:42 AM

rbi did not change interest rates repo rate also intact

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के नतीजों का आज यानी 10 फरवरी को ऐलान होगा। इसको लेकर RBI 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी। पिछली बार बैठक दिसंबर, 2021 में हुई थी। तब केंद्रीय बैंक ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 4% पर

बिजनेस डेस्कः साल 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पहली मौद्रिक नीति समिति (MPC) के नतीजों का ऐलान हो गया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। लगातार 10वीं बार आरबीआई ने पॉलिसी दरों में बदलाव नहीं किया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.5 फीसदी पर बरकरार रहेगा। जबकि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट और बैंक रेट 4.25 फीसदी रहेगा। पॉलिसी का रुख ‘अकोमोडेटिव’ रखा गया है। एमपीसी के 6 में से 5 सदस्यों ने यह फैसला किया है। इससे पहले, रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई 2020 को ब्याज दरों में बदलाव किया था। 

मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक 8 फरवरी से शुरू हुई थी। दास ने बैठक के दौरान हुए फैसलों की जानकारी दी। पिछली बैठक में आरबीआई ने पॉलिसी दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। इसको लेकर RBI 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी। आपको बता दें कि दिसंबर में हुई पिछली बैठक में भी आरबीआई ने पॉलिसी दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। 

MPC की मीटिंग में हुए अहम फैसले...

  • वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ अनुमान 7.8% से घटकर 7% किया गया है।
  • 2022-23 की दूसरी छमाही से महंगाई में कमी आएगी।
  • वैक्सीनेशन से इकोनॉमी में रिकवरी हो रही है। 2022-23 में रियल GDP ग्रोथ 7.8% हो सकती है।
  • निजी निवेश की रफ्तार अभी भी धीमी बनी हुई है।
  • 2022-23 की चौथी तिमाही से महंगाई दर में कमी होगी।
     

e-RUPI की लिमिट बढ़ी
आरबीआई गवर्नर ने NPCI द्वारा विकसित एक प्रीपेड ई-वाउचर e-RUPI की लिमिट को 10,000 रुपए बढ़ाकर 1 लाख रुपए कर दिया है। डिजिटल पैमेंट के लिए एक कैशलेस और कॉन्टैक्टलैस साधन है। यह एक QR code या एसएमएस स्ट्रिंग-बेस्ड ई-वाउचर है, जिसे लाभार्थियों के मोबाइल पर पहुंचाया जाता है।

क्या होता है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI द्वारा बैंकों को कर्ज दिया जाता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ होता है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। जबकि रिवर्स रेपो रेट, रेपो रेट से ठीक विपरीत होता है। रिवर्स रेट वह दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर RBI से ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजारों में लिक्विडिटी यानी नगदी को ​नियंत्रित किया जाता है। यानी रेपो रेट स्थिर होने का मतलब है कि बैंकों से मिलने वाले लोन की दरें भी स्थिर रहेंगी।

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