Edited By Seema Sharma,Updated: 21 Oct, 2018 12:04 PM
नोटबंदी की घोषणा के 2 वर्ष बाद भी आर.बी.आई. राष्ट्र को यह नहीं बताना चाहता कि उसने 500 और 1000 के नोट इकट्ठे और नष्ट करने पर कितना खर्च किया। आर.बी.आई. का उत्तर दबा और डरा हुआ है।
बिजनेस डेस्कः नोटबंदी की घोषणा के 2 वर्ष बाद भी आर.बी.आई. राष्ट्र को यह नहीं बताना चाहता कि उसने 500 और 1000 के नोट इकट्ठे और नष्ट करने पर कितना खर्च किया। आर.बी.आई. का उत्तर दबा और डरा हुआ है। यह उत्तर उस रूप में नहीं है जिस रूप में उसकी मांग की गई थी। आर.बी.आई. और सरकार ने यह कहा कि विशेष नोटों की कानूनी निविदा को रद्द करना नियमित गतिविधियों के काम पर रोक लगाने के लिए था। इसलिए इस काम के लिए कोई अलग खर्च करने वाला अलग विभाग नहीं बनाया गया और खर्चे पर आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। स्पष्ट है कि न तो आर.बी.आई. और न ही सरकार वित्त वर्ष 2017 में अतिरिक्त नोटों की प्रिंटिंग को छोड़कर नोटबंदी की प्रक्रिया की लागत को सार्वजनिक करना चाहते हैं।
इस वर्ष दौरान 27.7 बिलियन बैंक नोटों के टुकड़े को जमा करवाए गए थे जबकि पिछले वर्ष इनकी संख्या 12.5 बिलियन थी। आर.बी.आई. की 2017-18 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि 1000 रुपए के 6847 मिलियन टुकड़े बैंकों में जमा करवाए गए थे। 500 के 20,024 मिलियन टुकड़े जमा करवाए गए थे। आर.बी.आई. की रिपोर्ट के अनुसार 2016-17 दौरान इनकी संख्या क्रमश: 1514 और 3506 मिलियन थी। अब सरकार पर किसी तरह दबाव नहीं डाला जा सकता कि नोटबंदी पर हुए खर्च को बताए। सच्चाई यह है कि मोदी ने अपनी उपलब्धियों के रूप में नोटबंदी का उल्लेख नहीं किया जिससे स्पष्ट है कि यह एक आर्थिक आपदा थी।