Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Nov, 2024 10:33 AM
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गोल्ड लोन देने की प्रणाली में सुधार के लिए आवश्यक मुद्दों की पहचान की है, जिसके बाद इस क्षेत्र में कई बदलाव किए गए हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, लोन प्रदाता अब पारंपरिक बुलेट रीपेमेंट मॉडल को छोड़कर EMI और टर्म लोन की ओर रुख...
बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गोल्ड लोन देने की प्रणाली में सुधार के लिए आवश्यक मुद्दों की पहचान की है, जिसके बाद इस क्षेत्र में कई बदलाव किए गए हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, लोन प्रदाता अब पारंपरिक बुलेट रीपेमेंट मॉडल को छोड़कर EMI और टर्म लोन की ओर रुख कर रहे हैं ताकि नियामक मुद्दों को दूर किया जा सके।
गोल्ड लोन में अनियमितताओं का खुलासा
RBI ने 30 सितंबर को गोल्ड लोन देने की प्रक्रिया में कई गड़बड़ियां पाई हैं। इनमें शामिल हैं:
- लोन सोर्सिंग और मूल्यांकन प्रक्रियाओं में खामियां
- फंड उपयोग की निगरानी में कमी
- ऑक्शन प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव
- लोन-टू-वैल्यू (LTV) अनुपात मानदंडों का पालन न होना
इसके अलावा आंशिक भुगतान (पार्शियल पेमेंट) और लोन रोलओवर के प्रचलन की आलोचना करते हुए RBI ने लोन देने वाले संस्थानों से उधारकर्ताओं की रीपेमेंट क्षमता की सख्त जांच करने को कहा है।
वर्तमान गोल्ड लोन मॉडल
- बुलेट रीपेमेंट मॉडल: इसमें लोन का मूलधन और ब्याज एक साथ अंत में चुकाना होता है।
- EMI आधारित मॉडल: RBI ने जोखिम कम करने और बेहतर निगरानी के लिए EMI आधारित मॉडल अपनाने की सिफारिश की है।
गोल्ड लोन सेक्टर की प्रगति
- अप्रैल-अगस्त 2024 के बीच गोल्ड लोन में 37% की वृद्धि दर्ज की गई।
- गोल्ड लोन पर केंद्रित NBFC की प्रबंधित संपत्तियों में 11% वृद्धि हुई।
- 30 सितंबर तक गोल्ड लोन का कुल आंकड़ा 1.4 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जिसमें सालाना आधार पर 51% की वृद्धि दर्ज की गई।
चुनौतियां और विशेषज्ञों की राय
गेफियन कैपिटल के पार्टनर प्रकाश अग्रवाल के अनुसार, सोने की कीमतों में गिरावट से कोलैटरल वैल्यू कम हो सकती है, जिससे रिफाइनेंस और रीपेमेंट क्षमता पर दबाव पड़ सकता है।
भविष्य की संभावनाएं
अगर RBI गोल्ड लोन नियमों को सख्त करता है, तो इस सेक्टर की विकास दर धीमी हो सकती है। लेंडर्स अधिक सतर्कता बरत सकते हैं और उधार देने में जोखिम से बचने का प्रयास करेंगे। RBI का मुख्य उद्देश्य गोल्ड लोन प्रणाली को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाना है। EMI आधारित मॉडल अपनाने से न केवल जोखिम कम होगा बल्कि ग्राहकों और लेंडर्स के बीच भरोसा भी मजबूत होगा।