Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Apr, 2020 05:17 PM
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास का मानना है कि घरेलू अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस के प्रकोप से पड़ने वाले प्रभावों से बचाने के लिए सभी तरह के प्रयासों की आवश्यकता है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास का मानना है कि घरेलू अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस के प्रकोप से पड़ने वाले प्रभावों से बचाने के लिए सभी तरह के प्रयासों की आवश्यकता है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के दौरान दास ने कहा कि मैक्रो-इकॉनमी पर इसके बहुत अधिक प्रभाव से पहले इसके प्रसार को रोकने की जरूरत है। इन परिस्थितियों में विभिन्न क्षेत्रों में वित्त के सुगम प्रवाह को सुनिश्चित करना अनिवार्य है, क्योंकि यह देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। दास ने बैठक के दौरान कोरोना महामारी को 'अदृश्य रूप से वार करने वाला' करार दिया। उन्होंने कहा कि इस महामारी पर जल्द-से-जल्द काबू पाए जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, 'हम एक असाधारण समय से गुजर रहे हैं और वर्तमान में देश के सामने जो स्थिति है, वह अभूतपूर्व है। इसलिए घरेलू अर्थव्यवस्था को महामारी के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए हर संभव प्रयास करना अनिवार्य है।' उन्होंने कहा कि यह सुकून देने वाला है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के मैक्रो-इकॉनमी (वृहद आर्थिक बुनियादी ढांचे) में निरंतर सुधार हो रहा है, खासकर वैश्विक वित्तीय संकट के बाद की स्थितियों को देखें तो इसमें सुधार है।
रेपो रेट में की 0.75 फीसदी कटौती
इस दौरान दास ने 24, 26 और 27 मार्च को हुई बैठक के दौरान 75 आधार अंकों की कटौती पर भी अपनी सहमति जताई। दास ने कहा कि रिजर्व बैंक नजर बनाए हुए है और वह कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने और वित्तीय स्थिरता कायम करने के लिए किसी भी तरह के पारंपरिक और गैर-पारंपरिक कदम उठाने से नहीं हिचकेगा।
वैश्विक मंदी की आशंका बढ़ी
रिजर्व बैंक द्वारा इस बैठक के सोमवार को जारी ब्योरे के अनुसार दास ने कहा कि वैश्विक वृहद आर्थिक स्थिति पिछले एक पखवाड़े में अचानक बिगड़ी है। उन्होंने कहा कि कई देशों के अधिकारियों और केंद्रीय बैंकों ने लॉकडाउन और सामाजिक दूरी के कारण व्यापक आर्थिक गिरावट से निपटने के लिए लक्षित नीतिगत साधनों की विस्तृत श्रृंखला का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक मंदी की आशंका बढ़ रही है, जो पहले के वैश्विक वित्तीय संकट के मुकाबले अधिक गहरी हो सकती है।
उन्होंने कहा, भारत में भी अल्पकालीन अवधि के वृद्धि अनुमानों में तेजी से गिरावट आई है। शुरुआत में वैश्विक गिरावट और कोविड-19 संक्रमण बढ़ने के चलते और इसके बाद सरकार द्वारा महामारी को रोकने के लिए घोषित देशव्यापी लॉकडाउन से यह स्थिति बनती दिख रही है। मुद्रास्फीति के बारे में दास ने कहा कि परिदृश्य में व्यापक बदलाव आया है। गवर्नर ने कहा कि अगर मांग की दशाओं के सामान्य होने में अधिक समय लगा तो आमतौर पर गर्मियों के महीनों में बढ़ने वाली मांग के कमजोर रहने के आसार हैं। सकल घरेलू मांग के कमजोर रहने से मुद्रास्फीति को रोकने में मदद मिल सकती है।
RBI उठाएगा जरूरी कदम
उन्होंने कहा, 7कोविड-19 एक न दिखने वाला हत्यारा है, जिसे मानव जीवन और व्यापक अर्थव्यवस्था पर कहर बरपाने से पहले काबू में किए जाने की जरूरत है। दास ने कहा, इस परिदृश्य में यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि वित्त, जो अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है, अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में निर्बाध रूप से बहता रहे। उन्होंने कहा, ऐसे में रिजर्व बैंक सतर्क रहेगा और कोविड-19 के प्रभाव को कम करने, विकास को बहाल करने और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए किसी भी उपकरण, चाहें वह पारंपरिक हो या अपारंपरिक, का उपयोग करने में संकोच नहीं करेगा।