Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Sep, 2019 02:50 PM
रिजर्व बैंक ने विवादों में घिरे पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑरपेटिव बैंक (पीएमसी) के पूर्व चेयरमैन वरयाम सिंह को पिछले साल ही पद से हटाने का सुझाव दिया था। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है। रिजर्व बैंक ने दिवालिया हो चुकी कंपनी एचडीआईएल तथा उससे जुड़ी अन्य...
नई दिल्लीः रिजर्व बैंक ने विवादों में घिरे पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑरपेटिव बैंक (पीएमसी) के पूर्व चेयरमैन वरयाम सिंह को पिछले साल ही पद से हटाने का सुझाव दिया था। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है। रिजर्व बैंक ने दिवालिया हो चुकी कंपनी एचडीआईएल तथा उससे जुड़ी अन्य कंपनियों को बिना सही प्रक्रिया का पालन किए ऋण आवंटित करने के मामले में सिंह की संलिप्तता मिलने पर यह सुझाव दिया था। रिजर्व बैंक ने महाराष्ट्र के सहकारिता संगठनों के रजिस्ट्रार को सुझाव दिया था। हालांकि इसके बाद भी सिंह हाल तक पद पर बने रहे। रजिस्ट्रार या सिंह से इस बारे में फिलहाल संपर्क नहीं हो सका है।
सूत्र कहा, ‘रिजर्व बैंक ने 2017-18 के वार्षिक निरीक्षण में पाया कि चेयरमैन सिंह बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए तथा नियामकीय सीमा से अधिक ऋण आवंटित कर एचडीआईएल की मदद कर रहे थे।’ रिजर्व बैंक ने पीएमसी को एचडीआईएल का सारा ऋण एनपीए में दर्ज करने के लिए भी कहा था। हालांकि तब पीएमसी ने कहा था कि एचडीआईएल को सिर्फ 258 करोड़ रुपए का ऋण दिया गया है और उसके एवज में गारंटी रखी गई है।
बता दें कि विवादों में घिरे पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑरपेटिव बैंक (पीएमसी) के पूर्व प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस ने कथित तौर पर रिजर्व बैंक के आगे स्वीकार किया कि दिवालिया हो चुकी कंपनी एचडीआईएल को 6,500 करोड़ रुपए से अधिक के ऋण दिए गए थे। यह नियामकीय सीमा का चार गुणा तथा बैंक के 8,880 करोड़ रुपए के कुल ऋण का 73 प्रतिशत था। मामले से जुड़े एक सूत्र के अनुसार, यह बात तब स्वीकार की गई है जब निदेशक मंडल के एक सदस्य ने वास्तविक बैलेंस शीट रिजर्व बैंक तक पहुंचा दी।
इस संबंध में एचडीआईएल को ईमेल भेजकर उसका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन अभी तक कोई उत्तर नहीं मिला है। बैंक के पूर्व चेयरमैन वरयाम सिंह और थामस से फिलहाल संपर्क नहीं हो सका है। सूत्र ने बताया कि निदेशक मंडल के एक सदस्य ने खुद ही रिजर्व बैंक को एचडीआईएल को दिए गए ऋण की स्थित चुपके से बता दी। इससे थामस को गलती स्वीकारने पर मजबूर होना पड़ा। एचडीआईएल को दिया गया कर्ज दो तीन साल से अवरुद्ध सम्पत्तियों (एनपीए) की सूची में डाल दिया गया है।
सूत्र ने बताया कि थॉमस ने रिजर्व बैंक को साढ़े चार पन्ने का पत्र लिखा है। इसमें थॉमस ने बताया है कि कैसे उसने वरयाम सिंह तथा निदेशक मंडल के कुछ सदस्यों समेत छह लोगों के साथ मिलकर एचडीआईएल समूह को ऋण आवंटित करने की मंजूरी दी। सूत्र के अनुसार, थॉमस ने यह भी माना कि निदेशक मंडल के अधिकांश सदस्यों को इस बारे में जानकारी नहीं थी।
सूत्र ने कहा, ‘थॉमस ने माना कि एचडीआईएल समूह को दिया गया ऋण 19 सितंबर 2019 को 6,500 करोड़ रुपए से अधिक था, जो 19 सितंबर 2019 तक बैंक के 8,880 करोड़ रुपए के कुल ऋण का 73 प्रतिशत है।’ थॉमस ने पत्र में यह भी स्वीकार किया कि बैंक का कुल एनपीए 60 से 70 प्रतिशत है।
रिजर्व बैंक अभी बैंक के बैलेंस शीट की जांच कर रही है। यदि एनपीए थॉमस की स्वीकारोक्ति के अनुसार रही तो यह बैंकिंग क्षेत्र में अब तक का सर्वोच्च स्तर होगा। रिजर्व बैंक ने इस बैंक के कारोबार पर पाबंदी लगा दी है। इसके तहत कोई खातेदार अब इस अवधि में 10,000 रुपए से ज्यादा की निकासी नहीं कर सकता। पहले यह सीमा 1000 ही रखी गई थी।