Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Jan, 2022 01:29 PM
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने नियमों को बासेल मानकों के अनुरूप बनाने के साथ तरलता कवरेज अनुपात (एलसीआर) बनाए रखने के लिए गैर-वित्तीय छोटे कारोबारों के जमा एवं अन्य कोष की सीमा 50 फीसदी तक बढ़ाकर 7.5 करोड़ रुपए कर दी है।
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने नियमों को बासेल मानकों के अनुरूप बनाने के साथ तरलता कवरेज अनुपात (एलसीआर) बनाए रखने के लिए गैर-वित्तीय छोटे कारोबारों के जमा एवं अन्य कोष की सीमा 50 फीसदी तक बढ़ाकर 7.5 करोड़ रुपए कर दी है। आरबीआई ने बृहस्पतिवार को कहा कि गैर-वित्तीय छोटे कारोबारों के लिए तय पांच करोड़ रुपए की सीमा को बढ़ाने से बैंकों के लिए तरलता जोखिम के प्रभावी प्रबंधन में मदद मिलेगी। नई व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगी।
रिजर्व बैंक ने कहा कि तरलता प्रावधानों को बैंकिंग पर्यवेक्षण पर गठित बाोल समिति द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप बनाने की कोशिश की गई है। उसने कहा कि छोटे कारोबार से जुड़े उपभोक्ताओं को ये बदलाव बैंकों को अपनी तरलता जोखिम के बेहतर प्रबंधन में मददगार होंगे। इस पहलू को ध्यान में रखते हुए छोटे कारोबारों की जमाओं एवं अन्य कोष के लिए कोष की सीमा को पांच करोड़ रुपए से बढ़ाकर 7.5 करोड़ रुपए किया जा रहा है। हालांकि हरेक खाते के लिए यह राशि अधिकतम सीमा के रूप में तय की गई है।