Edited By supreet,Updated: 05 Apr, 2018 02:57 PM
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (एम.पी.सी.) की दो दिवसीय बैठक ने आज रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट को 6 फीसदी पर जबकि रिवर्स रेपो रेट को 5.75 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। बैंक के...
नई दिल्लीः रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (एम.पी.सी.) की दो दिवसीय बैठक ने आज रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट को 6 फीसदी पर जबकि रिवर्स रेपो रेट को 5.75 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। बैंक के इस कदम से सस्ते कर्ज का इंतजार और लंबा हो गया है। सबकी निगाहें अब जून में होने वाली बैठक पर टिक गई हैं। यह नए वित्त वर्ष 2018-19 की पहली द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक है।
बैठक की अहम बातें
कैश रिजर्व रेश्यो यानि सीआरआर भी 4 फीसदी पर बरकरार है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष का विकास अनुमान 7.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत किया। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति के अनुसार वृद्धि दर सुधर रही है और उत्पादन का अंतर घट रहा है। वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के मद्देनजर एम.पी.सी. द्वारा ब्याज दरों में कटौती नहीं की गई है।
फरवरी में भी नहीं किया था बदलाव
एमपीसी ने 6-7 फरवरी को हुई अपनी पिछली बैठक में बढ़ती महंगाई का हवाला देते हुए नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। आरबीआई ने इस बैठक में रेपो रेट को 6 फीसदी पर जबकि रिवर्स रेपो रेट को 5.75 फीसदी पर बरकरार रखा था।
समिति में शामिल हैं ये सदस्य
मौद्रिक नीति समिति में सरकार द्वारा नामित सदस्यों में चेतन घाटे, पामी दुआ, रवीन्द्र एच ढोलकिया शामिल हैं। वहीं रिजर्व बैंक की तरफ से गवर्नर उर्जित पटेल, मौद्रिक नीति प्रभारी डिप्टी गवर्नर विरल.ए. आचार्य और बैंक के कार्यकारी निदेशक मिशेल डी पात्रा इसके सदस्य हैं।
क्या होती है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को आर.बी.आई. कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन मुहैया कराते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि बैंक से मिलने वाले तमाम तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे।
रिवर्स रेपो रेट
यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आर.बी.आई. में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है।