Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Feb, 2020 06:50 PM
वित्त वर्ष 2015-16 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को 3.5 फीसदी पर लाना एक चुनौती है, महंगाई के प्रभाव के कारण इस वर्ष RBI दरों में बढ़ोतरी कर सकता है, विश्लेषकों ने सोमवार को ये बातें कहीं।
नई दिल्लीः वित्त वर्ष 2015-16 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को 3.5 फीसदी पर लाना एक चुनौती है, महंगाई के प्रभाव के कारण इस वर्ष RBI दरों में बढ़ोतरी कर सकता है, विश्लेषकों ने सोमवार को ये बातें कहीं।
उन्होंने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण विनिवेश पर बहुत ज्यादा भरोसा करती हैं, विश्लेषकों के मुताबिक, सरकार ने 3.8 फीसदी राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने के लिए वित्त वर्ष 2019-20 में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया।
विकास दर को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने एक क्लॉज के उपयोग का सहारा लिया है, जिसके तहत वह राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को 0.5 फीसदी तक बढ़ा सकती है। यह लगातार तीसरी बार है जब सरकार लक्ष्य हासिल करने से चूक गई। सरकार के रुख का स्वागत करते हुए विदेशी ब्रोकरेज बैंक ऑफ अमेरिका के विश्लेषकों ने लक्ष्य के लिए जोखिम को चिह्नित किया।
Goldman Sachs के विश्लेषकों ने कहा कि सरकार निजीकरण की योजना पर काम कर रही है और यदि राजस्व संग्रह का अनुमान सही नहीं होता है, तो सरकार को फिर से खर्च में कटौती करनी होगी। ऐसा देखा गया है कि आम तौर पर राजकोषीय घाटे में वृद्धि महंगाई में वृद्धि के साथ होती है, जो पहले से ही आरबीआई के कम्फर्ट लेवल से बाहर है।