Edited By Pardeep,Updated: 06 Jan, 2019 02:24 AM
अगर आप भी ई-वॉलेट का इस्तेमाल करते हैं तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) की नई गाइड लाइन के मुताबिक अगर किसी ग्राहक के साथ कम्पनी की लापरवाही से फ्रॉड होता है तो उसके नुक्सान के भुगतान की पूरी ....
नई दिल्ली: अगर आप भी ई-वॉलेट का इस्तेमाल करते हैं तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) की नई गाइड लाइन के मुताबिक अगर किसी ग्राहक के साथ कम्पनी की लापरवाही से फ्रॉड होता है तो उसके नुक्सान के भुगतान की पूरी राशि वापस दी जाएगी।
नई गाइड लाइन के मुताबिक अगर ई-वॉलेट या प्री-पेड इंस्टू्रमैंट जारी करने वाली कम्पनी की लापरवाही से कोई फ्रॉड होता है तो ग्राहक इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। इसी तरह अगर थर्ड पार्टी एजैंसी की गलती से ग्राहक को किसी भी तरह का नुक्सान होता है तो भी ग्राहक को नुक्सान की पूरी राशि दी जाएगी।
3 दिन के अंदर करनी होगी शिकायत
रिजर्व बैंक ने ई-वॉलेट से होने वाले फ्रॉड को रोकने के लिए कमर कस ली है। फ्रॉड की जानकारी मिलने के ग्राहक को 3 दिनों के अंदर इसकी शिकायत ई-वॉलेट कम्पनी से करनी होगी। तीन दिन के अंदर शिकायत करने पर ग्राहक को पूरी भरपाई की जाएगी। अगर शिकायत 4 से 7 दिन के अंदर की जाती है तो नुक्सान की असली रकम या फिर अधिकतम 10,000 रुपए में से जो भी कम होगा, वही दिया जाएगा। अगर 7 दिन के बाद ग्राहक शिकायत दर्ज कराता है तो ई-वॉलेट कम्पनी की इस मामले पर जो पॉलिसी होगी उसी के हिसाब से भरपाई की जाएगी।
ग्राहक की गलती पर थर्ड पार्टी की कोई जिम्मेदारी नहीं
रिजर्व बैंक ने इसी के साथ यह भी साफ कर दिया है अगर ग्राहक की गलती से गलत सौदा किया जाता है तो इसके लिए थर्ड पार्टी की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी और इसकी पूरी जिम्मेदारी ग्राहक की होगी। हालांकि ग्राहक की लापरवाही के कारण फ्रॉड हुआ है इसके बारे में ई-वॉलेट कम्पनी को साबित करना होगा। रिजर्व बैंक ने यह भी प्रावधान किया है कि अगर कोई ई-वॉलेट कम्पनी चाहे तो ग्राहक की गलती होने के बावजूद भी उसे भरपाई कर सकती है।
ये भी हैं नियम
रिजर्व बैंक ने ग्राहकों की शिकायतों की सुनवाई से जुड़े कई और भी नियम बनाए हैं। जैसे कि अगर ग्राहक की गलती नहीं है तो शिकायत मिलने के 10 दिनों के भीतर रकम खाते में वापस लौटानी होगी। ई-वॉलेट कम्पनियों को शिकायत दर्ज कराने के लिए 24 गुणा 7 हैल्पलाइन बनानी होगी। साथ ही शिकायतें दर्ज कराने के लिए डायरैक्ट ङ्क्षलक भी देना होगा। ई-वॉलेट कम्पनियों के लिए यह भी जरूरी होगा कि वे शिकायत मिलते ही उसकी पुष्टि करें। इसके लिए ऑटोमैटिक रिप्लाई जैसा सिस्टम बनाना होगा।