Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Feb, 2022 04:21 PM
सरकार के अगले वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रिकॉर्ड कर्ज लेने की योजना के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक की सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) में हिस्सेदारी करीब दो लाख करोड़ रुपए बढ़ सकती है। केंद्रीय बैंक के पास पहले
मुंबईः सरकार के अगले वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रिकॉर्ड कर्ज लेने की योजना के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक की सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) में हिस्सेदारी करीब दो लाख करोड़ रुपए बढ़ सकती है। केंद्रीय बैंक के पास पहले ही 80.8 लाख करोड़ रुपए के बकाया सरकारी बांड में 17 प्रतिशत हिस्सेदारी है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि बड़े कर्ज कार्यक्रम की वजह से रिजर्व बैंक को कम-से-कम दो लाख करोड़ रुपए के बांड के लिए खरीदार ढूंढने होंगे क्योंकि बैंक सामान्य तौर पर 10 साल से कम के लघु अवधि के ऋण का विकल्प चुनते हैं।
बजट 2022-23 में केंद्र का सकल कर्ज रिकॉर्ड 14.3 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। राज्यों के साथ मिलाकर सकल कर्ज 23.3 लाख करोड़ रुपए और शुद्ध ऋण 17.8 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। बजट में अगले वित्त वर्ष में 3.1 लाख करोड़ रुपए के भुगतान का भी प्रस्ताव है। सरकार के 80.8 लाख करोड़ रुपए के बकाया बांड में वित्तीय संस्थानों के बाद केंद्रीय बैंक का हिस्सा दूसरे नंबर पर है। बकाया बांड में सबसे अधिक हिस्सेदार वित्तीय संस्थान हैं।
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी के अंत तक 2061 तक परिपक्व होने वाली सरकारी प्रतिभूतियां 80.8 लाख करोड़ रुपए थीं। इनमें से 37.8 प्रतिशत प्रतिभूतियां बैंकों के पास, 24.2 प्रतिशत बीमा कंपनियों के पास थीं यानी कुल मिलाकर इनके पास 62 प्रतिशत प्रतिभूतियां थीं। वहीं केंद्रीय बैंक के पास 17 प्रतिशत प्रतिभूतियां थीं।