Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Nov, 2022 11:15 AM
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा है कि वैश्विक बाजार की अनिश्चितताओं के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि की राह की चुनौतियों को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक को नीतिगत ब्याज दर बढ़ा कर कर्ज महंगा करने की अपनी गति को कम करने का विचार करना चाहिए। सीआईआई...
नई दिल्लीः भारतीय उद्योग जगत बीते दिनों ब्याज दरों में हुई बढ़ोतरी के प्रतिकूल असर को महसूस कर रहा है। उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने रविवार को यह बात कही। इसके साथ ही सीआईआई ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से अनुरोध किया है कि वह ब्याज दर में बढ़ोतरी की रफ्तार घटाए। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में अभी तक रेपो दर (Repo Rate) में 1.9 फीसदी की बढ़ोतरी की है। ब्याज दर पर विचार करने के लिए केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक (RBI MPC Meeting) दिसंबर के पहले सप्ताह में होगी।
कंपनियों की आय घटी
सीआईआई के विश्लेषण के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2022) में बड़ी संख्या में कंपनियों की आय और मुनाफे में कमी आई है। ऐसे में सीआईआई ने तर्क दिया कि मौद्रिक सख्ती की गति में कमी करने की जरूरत है।
घरेलू डिमांड में सुधार
सीआईआई के अनुसार, आंकड़े बताते हैं कि घरेलू मांग में सुधार का रुख है। हालांकि, वैश्विक सुस्ती का असर भारत की वृद्धि संभावनाओं पर भी पड़ सकता है। उद्योग निकाय ने कहा, ‘वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच घरेलू वृद्धि को बनाए रखने के लिए आरबीआई को अपनी मौद्रिक सख्ती की रफ्तार को पहले के 0.5 फीसदी से कम करने पर विचार करना चाहिए।'
लंबी चलेगी महंगाई से जंग
महंगाई को काबू में करने की लड़ाई 'सख्त और लंबी' होगी। भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के सदस्य जयंत वर्मा ने यह बात कही है। उन्होंने कहा कि मॉनेटरी पॉलिसी के तहत उठाए गए कदमों का असर अगले कुछ महीने में दिखाई देने लगेगा। मौजूदा आर्थिक माहौल में अनिश्चितता बनी हुई है। उन्होंने कहा कि हमें मंदी की आशंका नहीं सता रही है, लेकिन ग्रोथ भी वैसी नहीं है, जैसी हम चाहते हैं। इसलिए महंगाई को काबू में करने के प्रयासों के नतीजे अगले पांच-छह क्वार्टर्स में दिखाई देने लगेंगे।