RBI ने अपने हाथ में ली लक्ष्मी विलास बैंक की कमान, समिति देखेगी कामकाज

Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Sep, 2020 12:00 PM

rbi takes over command of lakshmi vilas bank committee will

भारी-भरकम कर्ज और घाटे के चक्रव्यूह में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक का कामकाज आरबीआई ने अपने हाथ में ले लिया है। रिजर्व बैंक की ओर से गठित तीन सदस्यीय समिति अब बैंक का संचालन करेगी। एमडी-सीईओ सहित बैंक के सभी निदेशकों के

नई दिल्लीः भारी-भरकम कर्ज और घाटे के चक्रव्यूह में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक का कामकाज आरबीआई ने अपने हाथ में ले लिया है। रिजर्व बैंक की ओर से गठित तीन सदस्यीय समिति अब बैंक का संचालन करेगी। एमडी-सीईओ सहित बैंक के सभी निदेशकों के अधिकारों को खत्म कर दिया गया है। इससे पहले यस बैंक में नकदी संकट बढ़ने पर भी आरबीआई के निर्देश पर एसबीआई के पूर्व अधिकारी को संचालन का जिम्मा सौंपा गया था।

लक्ष्मी विलास बैंक ने सोमवार को बताया कि आरबीआई की ओर बनाई तीन सदस्यीय स्वतंत्र निदेशक समिति अंतरिम तौर पर बैंक के एमडी-सीईओ का कामकाज देखेगी। 27 सितंबर को मीता माखन की अगुवाई में बनी समिति में शक्ति सिन्हा और सतीश कुमार कालरा भी शामिल हैं। इससे पहले शुक्रवार को बैंक के शेयरधारकों ने सालाना महासभा के दौरान एमडी-सीईओ सहित सात निदेशकों को बाहर करने के लिए वोट डाला था।

पूंजी संकट से जूझ रहे बैंक को काफी समय से निवेशकों की तलाश है। जून तिमाही में बैंक के पास कुल जमा पूंजी 21,161 करोड़ रुपए थी। 1926 में शुरू हुए इस बैंक की 19 राज्यों में 566 शाखाएं और 918 एटीएम चल रहे हैं।
 
बैंक ने अपने ग्राहकों को भरोसा दिया है कि मौजूदा संकट का उनकी जमाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बैंक ने कहा, 262 फीसदी के तरलता सुरक्षा अनुपात (एलसीआर) के साथ जमाकर्ता, बांडधारक, खाताधारक और लेनदारों की संपत्ति पूरी तरह सुरक्षित है। आरबीआई की ओर से एलसीआर का तय मानक 100 फीसदी होता है, जबकि बैंक के पास इससे ढाई गुना ज्यादा आरक्षित पूंजी है। बैंक की संचालन समिति आगे जो भी फैसला करेगी, उसे सार्वजनिक किया जाएगा।

बड़े कारोबारियों को कर्ज देकर बुलाई मुसीबत
छोटे-मझोले उद्यमों के साथ बड़े कारोबारियों को कर्ज की शुरुआत से ही बैंक पर वित्तीय संकट शुरू हो गया। रेनबैक्सी और फोर्टिस हेल्थकेअर के पूर्व प्रवर्तक मालविंदर सिंह और शिविंदर सिंह को बैंक ने 2016 में 794 करोड़ की एफडी पर 720 करोड़ का कर्ज दिया और 2017 से मुसीबतें शुरू हो गईं। कर्ज वसूली में नाकाम रहने और बढ़ते एनपीए की वजह से आरबीआई ने सितंबर, 2019 में बैंक को त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचे में डाल दिया था।

इसके बाद से ही बैंक विलय की कवायद में जुटा है। पहले इंडियाबुल्स के साथ बातचीत चली फिर क्लिक्स समूह से, लेकिन अभी तक सौदा पक्का नहीं हो सका। मार्च, 2020 में बैंक ने 836 करोड़ का घाटा बताया था। दिल्ली पुलिस ने पिछले सप्ताह ही बैंक के दो पूर्व अधिकारियों केा 729 करोड़ के फर्जी एफडी जमा मामले में गिरफ्तार किया है।


 

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