Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Feb, 2019 11:45 AM
इलाहाबाद बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और देना बैंक आरबीआई के प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन के दायरे से बाहर आ सकते हैं। सरकार इन बैंकों से कह रही है कि वे नई हासिल होने वाली पूंजी से अपने नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स को एडजस्ट करें।
कोलकाताः इलाहाबाद बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और देना बैंक आरबीआई के प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन के दायरे से बाहर आ सकते हैं। सरकार इन बैंकों से कह रही है कि वे नई हासिल होने वाली पूंजी से अपने नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स को एडजस्ट करें। साथ ही, इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन मैकेनिज्म के जरिए बेहतर रिकवरी की उम्मीद भी बढ़ी है।
एक सरकारी बैंक के चीफ एग्जिक्यूटिव ने बताया, 'सरकार पीसीए के तहत रखे गए बैंकों को नई पूंजी को बैड लोन से एडजस्ट करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। फ्रेश इक्विटी का उपयोग मुख्य तौर पर नेट एनपीए रेशियो को 6 प्रतिशत से नीचे लाने में किया जा रहा है।' उन्होंने कहा, 'कम से कम तीन-चार बैंक मार्च तक इस सख्त रूल के दायरे से बाहर आ सकते हैं, हालांकि उनका ग्रॉस एनपीए 16-17 प्रतिशत से ज्यादा है।' सरकार मार्च क्वॉर्टर तक उन बैंकों को और 12500 करोड़ रुपए दे सकती है, जिनके कैपिटल रेशियो तय मानक से कम हैं।
आरबीआई ने भी नियमों को नरम कर दिया है, जिससे बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स पीसीए से बाहर हो गए। बैंक ऑफ महाराष्ट्र और बैंक ऑफ इंडिया के नेट एनपीए रेशियो 6 प्रतिशत से नीचे हैं लेकिन उनका रिटर्न ऑन एसेट्स नेगेटिव बना हुआ है।
इनके अलावा आठ अन्य सरकारी बैंक अब भी कारोबारी प्रतिबंधों के दायरे में हैं। इनमें इलाहाबाद बैंक का नेट एनपीए रेशियो सबसे कम 7.70 प्रतिशत पर है और उसके पीसीए से बाहर आने का चांस सबसे ज्यादा है। यह बैंक एक बार और पूंजी पाने की उम्मीद कर रहा है, जिससे इसका सीईटी 1 रेशियो न्यूनतम 7.75 प्रतिशत की लिमिट से आगे हो जाएगा, जो पीसीए से बाहर आने के लिए जरूरी है। अभी इसका यह रेशियो 7.06 प्रतिशत पर है।
इलाहाबाद बैंक के चीफ एग्जिक्यूटिव एस एस मल्लिकार्जुन राव ने कहा, 'आरबीआई ने रिटर्न ऑन एसेट्स के मामले में राहत दी है। हमें उम्मीद है कि अगर एनसीएलटी में ले जाए गए बड़े मामले सुलझ जाएं तो मार्च तक नेट एनपीए 6 प्रतिशत से नीचे आ जाएगा।' 31 दिसंबर 2018 को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का नेट एनपीए 10.32 प्रतिशत पर था, जबकि इसका सीईटी 1 रेशियो 7.39 प्रतिशत पर था। देना बैंक का नेट एनपीए रेशियो 10.44 प्रतिशत और सीईटी 1 रेशियो 7.62 प्रतिशत पर था।
इलाहाबाद बैंक और देना बैंक में नई पूंजी डालने के लिहाज से सरकार के पास ज्यादा गुंजाइश है क्योंकि उनमें सरकार की हिस्सेदारी 83 प्रतिशत और 81 प्रतिशत पर है। इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक में सरकारी हिस्सेदारी 90 प्रतिशत से ज्यादा है, लिहाजा इनमें सरकार के और पैसा डालने की गुंजाइश कम रह गई है। मार्केट रेगुलेशन के अनुसार, किसी भी लिस्टेड इकाई में प्रमोटर होल्डिंग 75 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती है। सेबी ने बैंकों को इस नियम से कुछ छूट दी है लेकिन उन्हें बाद में यह रेशियो 75 प्रतिशत पर लाना होगा।