रैडीमेड गार्मैंट्स का निर्यात अक्तूबर में 41 प्रतिशत गिरा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Nov, 2017 11:48 AM

readymade garments exports by 41  in october

रैडीमेड गार्मैंट्स के निर्यात में सितम्बर में करीब 25 प्रतिशत की बढ़ौतरी हुई थी लेकिन अक्तूबर में इसमें लगभग 41 प्रतिशत की गिरावट आई है। निर्यातकों का कहना है कि वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) को लेकर चीजें स्पष्ट नहीं होने के कारण निर्यात में कमी आई...

कोयम्बटूर:  रैडीमेड गार्मैंट्स के निर्यात में सितम्बर में करीब 25 प्रतिशत की बढ़ौतरी हुई थी लेकिन अक्तूबर में इसमें लगभग 41 प्रतिशत की गिरावट आई है। निर्यातकों का कहना है कि वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) को लेकर चीजें स्पष्ट नहीं होने के कारण निर्यात में कमी आई है। साथ ही दूसरे प्रतिस्पद्र्धी देशों की तुलना में भारत अच्छी स्थिति में नहीं है। 

रैडीमेड परिधानों का निर्यात सितम्बर में बढ़कर 10,707 करोड़ रुपए पहुंच गया था जो एक साल पहले इसी महीने 8583.55 करोड़ रुपए था। डॉलर के संदर्भ में देखा जाए तो इस साल सितम्बर में 1.662 अरब डॉलर का निर्यात किया गया जबकि पिछले साल इसी महीने यह 1.284 अरब डॉलर था। 3 महीने के अंतराल के बाद रैडीमेड परिधानों के निर्यात में सकारात्मक बढ़ौतरी हुई लेकिन अक्तूबर में इसके निर्यात में 41 प्रतिशत की गिरावट आई। रुपए के संदर्भ में यह 9100.75 करोड़ रुपए से घटकर 5398.08 करोड़ रुपए रह गया। डॉलर के संदर्भ में यह गिरावट 39.22 प्रतिशत है। पिछले साल इस महीने 1.364 अरब डॉलर के रैडीमेड कपड़ों का निर्यात हुआ था जबकि इस बार यह 0.829 अरब डॉलर रहा।

जी.एस.टी. ने दूसरे देशों की तुलना में उत्पादों को किया महंगा 
तिरुपुर एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन (टी.ई.ए.) के अध्यक्ष राजा एम. षणमुगम ने कहा कि लोग अब व्यवस्था के आदी हो रहे हैं। पिछले 3 महीनों के दौरान जब वैश्विक मांग बढ़ रही थी तो निर्यातक कर से जुड़े भ्रम के कारण इसका फायदा नहीं उठा सके। षणमुगम ने कहा, ‘‘अब हमारे पास कोई विकल्प नहीं है लेकिन जी.एस.टी. ने दूसरे देशों की तुलना में हमारे उत्पादों को महंगा बना दिया है।’’ उन्होंने कहा कि सितम्बर में निर्यात में जो बढ़ौतरी हुई थी वह मौजूदा माहौल में स्थायी नहीं है। 

निर्यातक नहीं उठा पा रहे सकारात्मक रुझान का फायदा  
फैडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन (फियो) सदर्न रीजन के रीजनल चेयरमैन ए. शक्तिवेल ने कहा कि नकदी की भारी कमी के कारण निर्यातक वैश्विक व्यापार के सकारात्मक रुझान का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि निर्यातकों को जुलाई और अगस्त में भुगतान किए गए जी.एस.टी. के रिफंड में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

विभाग अपनी तरफ  से पूरी कोशिश कर रहा है लेकिन व्यवस्था की खामियों के कारण रिफंड के अधिकांश मामले अभी सुलझाए नहीं जा सके हैं। उन्होंने केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सी.बी.ई.सी.) से निर्यात पर भुगतान किए गए एकीकृत जी.एस.टी. के आधार पर तुरंत जी.एस.टी. रिफंड जारी करने की मांग की और कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो इसके लिए बाद में सत्यापन किया जा सकता है। 
 

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